सोमवार को चांदी की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में $82 प्रति औंस के पार पहली बार पहुंचीं लेकिन बाद में मुनाफावसूली और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच शांति समझौते की उम्मीदों के चलते यह $75 के स्तर से नीचे आ गई। ट्रंप ने रविवार को कहा था कि वह और जेलेंस्की यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के समझौते के बहुत करीब पहुंच रहे हैं। इस खबर ने निवेशकों को राहत दी और सुरक्षित निवेश माने जाने वाली धातुओं की मांग में कमी आई।
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चांदी में गिरावट
एमसीएक्स पर 5 मार्च की डिलीवरी वाली चांदी पिछले सत्र में 2,39,787 रुपये पर बंद हुई थी और आज 2,47,194 रुपये पर खुला। शुरुआती कारोबार में यह 2,54,174 रुपये तक गया लेकिन उसके बाद इसमें गिरावट आई। एक समय यह करीब 21,000 रुपये की गिरावट के साथ 2,32,663 रुपये तक आ गया था। 2.47 बजे यह 2,33,900 रुपये पर ट्रेड कर रही थी।
हाल के दिनों में चांदी की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखी गई थी। इस साल अब तक चांदी ने 181% का रिटर्न दिया है, जो सोने से भी बेहतर प्रदर्शन है। इसके कई कारण हैं। अमेरिका ने चांदी को एक महत्वपूर्ण खनिज घोषित किया है। उत्पादन और आपूर्ति में कुछ बाधाओं के कारण इसकी आपूर्ति में कमी आई है। बाजार में चांदी का स्टॉक कम है जबकि औद्योगिक और निवेश दोनों क्षेत्रों से चांदी की मांग बढ़ रही है।
गिरावट के कारण
आज चांदी की कीमतों में आई गिरावट सिर्फ भू-राजनीतिक तनाव कम होने का नतीजा नहीं है। इसके कुछ और भी कारण हैं। पिछले कुछ समय से चांदी की कीमतों में लगातार तेजी आ रही थी, इसलिए निवेशकों ने मुनाफावसूली की। शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज (CME) ने चांदी के मार्च 2026 वायदा अनुबंध के लिए मार्जिन की आवश्यकता बढ़ा दी है। पहले यह $20,000 थी, जिसे बढ़ाकर लगभग $25,000 कर दिया गया है। मार्जिन बढ़ने का मतलब है कि निवेशकों को अब ज्यादा पैसा लगाना होगा, जिससे कुछ निवेशक बाहर निकल जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की कीमतों में अभी भी तेजी का रुख बना हुआ है, लेकिन इसमें उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। रिलायंस सिक्योरिटीज में सीनियर रिसर्च एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी का कहना है कि ₹2.4 लाख का स्तर चांदी के लिए निकट भविष्य में एक महत्वपूर्ण सपोर्ट का काम करेगा। अमेरिका स्थित वित्तीय सेवा फर्म BTIG ने चेतावनी दी है कि कीमती धातुओं की कीमतें “पैराबोलिक” हो गई हैं। पैराबोलिक का मतलब है कि कीमतें बहुत तेजी से ऊपर गई हैं।
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क्या करें निवेशक?
BTIG का कहना है कि ऐसी तेजी के बाद अक्सर बड़ी गिरावट आती है। पैराबोलिक का अंत केवल एक ही तरह से होता है, वह है समान और विपरीत गिरावट। उसका कहना है कि 1987 में चांदी की कीमत में एक दिन में 10% बड़ी तेजी आई थी और उसके बाद अगले कुछ हफ्तों में 25% की गिरावट आई थी। इसी तरह 1979-80 में चांदी $6 से बढ़कर $49 प्रति औंस हो गई थी लेकिन बाद में 90% से अधिक गिर गई।
इसी तरह 2011 में भी चांदी की कीमतें लगभग $48 पर पहुंचीं और फिर अगले कुछ वर्षों में 75% से अधिक गिर गईं। दोनों मामलों में गिरावट शुरू होने से पहले चांदी की कीमतें कई गुना बढ़ चुकी थीं। महामारी के बाद से चांदी की कीमतें छह गुना से अधिक बढ़ी हैं और अकेले पिछले साल में लगभग तीन गुना हो गई हैं। ऐतिहासिक चक्रों से पता चलता है कि एक बार जब तेजी की गति टूट जाती है, तो चांदी में 50% या उससे अधिक की तेज गिरावट आ सकती है। इसलिए निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है।












