आवारा कुत्तों के लिए नोडल ऑफिसर
5 दिसंबर को शिक्षा निदेशालय की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा गया कि आवारा कुत्ते से जुड़े मामलों को देखने के लिए स्कूली टीचरों को नोडल ऑफिसर बनाएं और उनके बारे में पूरी डिटेल निदेशालय में जमा करें। यहां से यह डिटेल मुख्य सचिव को भेजा जाना है। इसी निर्देश के अनुसार उत्तर पश्चिमी दिल्ली के एक जिले में डिप्टी डायरेक्टर एजुकेशन ने एक आदेश जारी करते हुए अलग-अलग स्कूलों के 118 टीचरों के नाम चिन्हित किए। इस आदेश में तीन जोन के लिए तीन टीचरों के नाम नोडल ऑफिसर के तौर पर जारी किए गए। इसकी डिटेल में संबंधित नोडल ऑफिसर से जुड़ी सारी जानकारी शेयर होनी है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया गया हवाला
आदेश के अनुसार आवारा कुत्तों के मामले में नोडल ऑफिसर प्वाइंट पर्सन के तौर पर काम करेंगे और उनकी जानकारी स्कूल बिल्डिंग के बाहर और अन्य शिक्षा परिसरों में प्रमुखता के साथ डिसप्ले की जाएगी, ताकि लोगों को भी जागरूक किया जा सके। शिक्षा निदेशालय का कहना है कि यह कदम आम लोगों की सुरक्षा और सुप्रीम कोर्ट के 7 नवंबर के आदेशों के तहत उठाया जा रहा है, जिसको लेकर 20 नवंबर को हुई बैठक में निर्देश जारी किए गए थे। सर्कुलर में इस टास्क को प्राथमिकता के आधार पर हैंडल करने को कहा गया है।
‘टीचरों को डायवर्ट करना बच्चों से अन्याय’
हालांकि, शिक्षक संगठनों ने सवाल उठाया है कि पशु कल्याण विभाग इस मसले को क्यों नहीं देख रहा है। शिक्षक संगठनों की यह भी चेतावनी है कि इस तरह के गैर-शैक्षिक कार्यों से शिक्षा के पेशे से जुड़ा सम्मान भी प्रभावित होता है। सरकारी शिक्षक संघ के अध्यक्ष संत राम के मुताबिक, ‘स्कूल के दिनों में अगर शिक्षकों को सिर्फ शिक्षा पर फोकस रहने दिया जाए, तो यह समाज और देश के हित में रहेगा। ऐसे काम छुट्टियों में दिए जा सकते हैं, लेकिन शैक्षणिक सत्र के दौरान शिक्षकों को डायवर्ट करना बच्चों के साथ अन्याय है।’ बता दें कि जानवरों से जुड़े ऐसे मामलों में यूपी, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों और जम्मू-कश्मीर जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में टीचरों की सेवाएं ली जा चुकी हैं।(पीटीआई इनपुट पर आधारित)














