मंगलवार को नई दिल्ली स्थित रक्षा मंत्रालय, साउथ ब्लॉक में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में इन अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए। ये अनुबंध भारतीय थलसेना और भारतीय नौसेना के लिए हैं। समझौते के मुताबिक, 4.25 लाख से अधिक सीक्यूबी कार्बाइन की खरीद के लिए 2,770 करोड़ रुपए का करार भारत फोर्ज लिमिटेड और पीएलआर सिस्टम्स (अडानी डिफेंस और इजराइल वेपन इंडस्ट्रीज का संयुक्त उद्यम) के साथ किया गया है। इन कार्बाइनों का 60% उत्पादन भारत फोर्ज करेगी, जबकि बाकी पीएलआर सिस्टम्स बनाएगी। सेना और नौसेना को ये कार्बाइन अगले पांच सालों में मिल जाएंगी।
क्यों खास है CBQ कार्बाइन
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह भारतीय सैनिकों को विश्व स्तरीय हथियार देने की एक बड़ी उपलब्धि है, जो पुराने हथियारों की जगह लेंगे। ये CQB कार्बाइन छोटी जगहों पर लड़ाई के लिए बहुत कारगर हैं। इनका छोटा आकार और ते फायर रेट इन्हें खास बनाता है। यह डील सरकार और निजी क्षेत्र के बीच तालमेल को दर्शाती है और ‘मेक-इन-इंडिया’ को और मजबूत करेगी।
नौसेना को मिलेगी 48 ब्लैक शार्क टारपीडो
वहीं रक्षा मंत्रालय ने हैवी वेट टॉरपीडो की खरीद के लिए 1,896 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से एक अन्य समझौता किया है। इसके तहत नौसेना की छह कलवरी-क्लास या स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए 48 “ब्लैक शार्क” भारी टॉरपीडो खरीदे जाएंगे। यह सौदा इटली की WASS सबमरीन सिस्टम्स S.R.L. के साथ हुआ है। ये टॉरपीडो पनडुब्बियों की मारक क्षमता को बढ़ाएंगे।
इन 48 टॉरपीडो की डिलीवरी अप्रैल 2028 से शुरू होकर 2030 की शुरुआत तक पूरी हो जाएगी। ये टॉरपीडो अपनी उन्नत तकनीक और क्षमता के कारण कलवरी-क्लास पनडुब्बियों की युद्ध क्षमता को काफी बढ़ा देंगे।














