जुलाई 2024 में शेख हसीना विरोधी छात्र आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे उस्मान हादी को 12 दिसम्बर को ढाका में गोली मार दी गई थी। गंभीर हालत में हादी को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था लेकिन लगभग एक सप्ताह बाद 18 दिसम्बर को उनकी मौत हो गई। हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें प्रमुख मीडिया हाउस के दफ्तर जला दिए गए थे। भारतीय मिशन पर भी पत्थरबाजी हुई थी। तनाव के चलते भारतीय वीजा सेंटर को बंद करना पड़ा था।
जमात पर जताया हत्या का शक
बयान में फैसल ने कहा कि उसने हादी को चंदा भी दिया था लेकिन यह किसी आपराधिक गतिविधि के लिए नहीं, बल्कि सरकारी ठेकों के वादों के बदले में दिया गया था। फैसल ने कहा, ‘मैंने हादी को नहीं मारा। मुझे और मेरे परिवार को फंसाया जा रहा है। मैं इस बदले की भावना से बचने के लिए दुबई आया हूं। हादी जमात का आदमी था। इसके पीछे जमाती हो सकते हैं।’ उसने आगे कहा, ‘मैं हादी से प्रमोशन कारणों से मिला था क्योंकि मेरी एक IT फर्म है। मैंने उन्हें राजनीतिक चंदा दिया था। उन्होंने मुझे सरकार ठेका दिलाने का वादा किया था।’
बांग्लादेश पुलिस ने किया था भारत में होने का दावा
इसके पहले बांग्लादेश के अधिकारियों ने दावा किया था कि मुख्य हत्यारोपी फैसल करीम मसूद और एक अन्य संदिग्ध आलमगीर शेख सीमा पारकर भारत में घुस गए हैं। ढाका पुलिस से सीनियर अधिकारी एसएन नजरुल इस्लाम के अनुसार, संदिग्धों ने हालुआघाट बॉर्डर पार करके भारत में प्रवेश किया, जहां कथित तौर पर दो भारतीय नागरिकों ने उनका स्वागत किया और उन्हें मेघालय तक पहुंचाया।
मेघालय में BSF इंस्पेक्टर (IG) जनरल ओपी उपाध्याय ने बांग्लादेश के दावों को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा, ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि किसी व्यक्ति ने हालुआगाट सेक्टर से अंतरराष्ट्रीय सीमा क्रॉस करके मेघालय में प्रवेश किया हो। BSF ने ऐसी घटना न तो देखी है और न ही उसे ऐसी कोई रिपोर्ट मिली है।














