अडानी एयरपोर्ट्स होल्डिंग्स देश में आठ हवाई अड्डों का संचालन कर रही है। ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसने सरकार से कहा है कि वह यूएई, सऊदी अरब, कतर, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों के साथ बातचीत शुरू करे ताकि उड़ानों की संख्या बढ़ाई जा सके। अडानी ग्रुप ने पिछले महीने सरकार को बताया कि अगर ज्यादा उड़ानें शुरू हुईं तो मुंबई एक ग्लोबल एविएशन हब बन सकता है। अडानी ग्रुप 2030 तक हवाई अड्डों के टर्मिनल, रनवे और यात्री सुविधाओं पर 11.1 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बना रहा है।
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क्या है नुकसान?
अडानी ग्रुप के एक अधिकारी ने कहा कि अगर उड़ानों की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो यह हवाई अड्डों पर किए जा रहे निवेश का दुरुपयोग होगा। उन्होंने कहा कि इससे भारतीय ग्राहकों को भी ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे क्योंकि उड़ानों की कमी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यात्रियों के लिए ज्यादा विकल्प और पहुंच बढ़ाना भारतीय हवाई अड्डों को ग्लोबल हब बनाने के लिए बहुत जरूरी है और यह सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं करना चाहिए कि भारतीय एयरलाइंस कब प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होंगी।
इस मामले पर एयर इंडिया और इंडिगो दोनों ने ET के सवालों का जवाब नहीं दिया। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के अधिकार दोनों देशों के बीच आपसी समझौते से तय होते हैं। 2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस खासकर पश्चिम एशिया की एयरलाइंस को ज्यादा उड़ान अधिकार देने में सख्ती बरती है। सरकार का कहना है कि ऐसा भारतीय एयरलाइंस को बचाने और स्थानीय हवाई अड्डों को दुबई और चांगी जैसे ट्रांजिट हब बनाने के लिए किया जा रहा है।
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हवाई किराये में बढ़ोतरी
साल 2016 में अपनी राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति में भारत ने नियम बनाए थे कि जब तक भारतीय एयरलाइंस की क्षमता का 80% उपयोग नहीं हो जाता, तब तक विदेशी एयरलाइंस को अतिरिक्त उड़ान अधिकार नहीं दिए जाएंगे। इस सरकारी रुख के कारण विदेशी एयरलाइंस ट्रैफिक में भारी बढ़ोतरी के बावजूद अतिरिक्त क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रही हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि हवाई टिकटों की कीमतें बढ़ गई हैं।
भारत की यह हिचकिचाहट इस डर से है कि यात्री अमीर खाड़ी देशों की एयरलाइंस की ओर जा सकते हैं। ये एयरलाइंस अपने बड़े विमानों का इस्तेमाल करके यात्रियों को अपने घरेलू अड्डों दुबई, अबू धाबी या दोहा के रास्ते यूरोप और उत्तरी अमेरिका ले जा सकती हैं। एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने हाल ही में कहा था कि कुछ अन्य एयरलाइंस के लिए, भारत से ले जाए जाने वाले 70% से अधिक यात्री ट्रांजिट में होते हैं और कहीं और जा रहे होते हैं। भारत के हित में यह सुनिश्चित करना है कि उदारीकरण की गति ऐसी हो कि वह भारतीय संस्थाओं द्वारा किए गए निवेश को नुकसान न पहुंचाए।’
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निवेश को खतरा
हालांकि यह अडानी ग्रुप के एयरपोर्ट्स में किए जा रहे निवेश को जोखिम में डालता है, क्योंकि एयर इंडिया या इंडिगो जैसी भारतीय एयरलाइंस की ओर से कोई आक्रामक विस्तार योजना नहीं है। इंडिगो देश की सबसे बड़ी एयरलाइन है। हाल में उसकी हजारों फ्लाइट्स कैंसिल हो गई थी जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। सरकार ने हाल में कुछ नई एयरलाइन को हरी झंडी दी है।












