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  • Free Trade with US-India Vs China: इस देश का एक हाथ अमेरिका तो दूसरा भारत के साथ, चीन है सबका दुश्मन

    नई दिल्ली: भारत और ओमान के बीच एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। खासकर जब से पीएम नरेंद्र मोदी खाड़ी के इस देश का दौरा करके लौटे हैं। दरअसल, ओमान को भारत से जोड़ना तर्कसंगत है। इस दौरे में व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता एक वास्तविक उपलब्धि है। ओमान अब उन चुनिंदा देशों में से


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 31, 2025
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    नई दिल्ली: भारत और ओमान के बीच एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। खासकर जब से पीएम नरेंद्र मोदी खाड़ी के इस देश का दौरा करके लौटे हैं। दरअसल, ओमान को भारत से जोड़ना तर्कसंगत है। इस दौरे में व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता एक वास्तविक उपलब्धि है। ओमान अब उन चुनिंदा देशों में से एक है जिनके भारत और अमेरिका दोनों के साथ मुक्त व्यापार समझौते ( Free Trade Agreement ) हैं। यह समझौता दोनों ही देशों के लिए फायदेमंद है। ओमान के पास संसाधन, स्थान और औद्योगिक एवं तकनीकी विशेषज्ञता है। वेडनेस बिग टिकट में जानते हैं कहानी।

    कतर-सऊदी के मुकाबले ओमान है बेहतर

    फर्स्ट पोस्ट पर छपी एक स्टोरी के अनुसार, भारत के पास बड़ा मानव संसाधन है। सलालाह और सोहार में मुक्त व्यापार क्षेत्र और दुक्म में विशेष आर्थिक क्षेत्र के विकास के साथ, भारतीय निवेश और मानव संसाधन के लिए उपयुक्त अवसर मौजूद हैं। ओमान की पारंपरिक उदारवादी नीति भी एक सकारात्मक पहलू है। कतर और सऊदी अरब में अक्सर श्रम शिविर कट्टरपंथ के गढ़ बन जाते हैं।

    सकारात्मक नतीजे दिखने शुरू हो गए

    ओमान की उदारवादी नीति और शिक्षित श्रमशक्ति को प्राथमिकता देने से कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने पर कट्टरपंथी श्रमिकों की वापसी से पैदा होने वाले सुरक्षा जोखिम को कम किया जा सकता है। ऐसे में सुल्तान हैथम के साथ मोदी की मुलाकात के सकारात्मक परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं।

    हिंद महासागर में बड़ी सैन्य ताकत बने भारत

    फर्स्ट पोस्ट के एक लेख में कहा गया है कि अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए भारत को हिंद महासागर बेसिन में और उससे भी आगे एक प्रमुख सैन्य शक्ति बनना होगा। चीन पहले से ही भारत की भूमिका को चुनौती दे रहा है, लेकिन चीन का खतरा भारत और उसकी पारंपरिक सैन्य शक्ति से कहीं अधिक व्यापक है। हिंद महासागर के हर तटीय देश को चीनी मछली पकड़ने वाले बेड़े से खतरा है।

    चीन रात में करता है समुद्री सीमा का उल्लंघन

    रिपोर्ट के अनुसार, सैद्धांतिक रूप से, चीनी मछुआरे ओमान के क्षेत्रीय जल और अनन्य आर्थिक क्षेत्र से बाहर रहते है। मगर, हकीकत ये है कि वे अक्सर रात में ओमान के जलक्षेत्र का उल्लंघन करते हैं। जहां ओमान सतत मछली पकड़ने को प्राथमिकता देता है, वहीं चीनी नौकाएं ओमान की खाड़ी और अरब सागर के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर रही हैं। चीनी मछली पकड़ने का काम चौबीसों घंटे चलता रहता है। मछली पकड़ने वाली नौकाएं स्थायी रूप से एक ही स्थान पर रहती हैं और अपने औद्योगिक पैमाने पर पकड़े गए मछली को बड़े जहाजों में स्थानांतरित करती हैं, जहां उसे जमाकर आगे ले जाया जाता है।

    ओमान के साथ-साथ ये देश भी चीन से परेशान

    ओमान अकेला ऐसा देश नहीं है जो चीन की ज्यादतियों से पीड़ित है। सोमालीलैंड, यमन, केन्या और मोजाम्बिक सभी चीन की कार्रवाइयों की शिकायत करते हैं। हिंद महासागर के द्वीपीय देश भी ऐसा ही करते हैं। चीन परदे के पीछे रहकर सबसे अच्छा काम करता है।

    भारतीय नौसेना कर सकती है निगरानी

    अगर भारतीय नौसेना चीनी मछली पकड़ने वाले बेड़े पर नजर रखे, उसकी पकड़ पर निगरानी रखे और ओमान के समुद्री क्षेत्र में उसकी घुसपैठ को रोके तो चीन के लिए चोरी करना मुश्किल हो जाएगा। ड्रोन या वीडियो कैमरों से अत्यधिक मछली पकड़ने की घटनाओं को फिल्माने से बिना एक भी गोली चलाए चीन का प्रभाव कम हो जाएगा; चीन वादे करना और खुद को बढ़ावा देना पसंद करता है, लेकिन जब हिंद महासागर बेसिन के देशों की आबादी चीन के व्यवहार की वास्तविकता देखेगी, तो भारतीय मॉडल को लोकप्रियता मिलेगी।

    तटरक्षक साझेदारी मजबूत करके बढ़ा सकता है प्रभाव

    भारत ओमान और यमन के साथ तटरक्षक साझेदारी का विस्तार करके अपना प्रभाव और बढ़ा सकता है। दोनों देशों की तटरेखाएं विशाल हैं और उनकी पूरी तरह से गश्त करने की क्षमता का अभाव है। हथियार तस्कर इस कमी का फायदा उठाते हैं; इससे नौवहन की स्वतंत्रता को खतरा होता है क्योंकि हौथी अपने हथियारों का इस्तेमाल जहाजों को निशाना बनाने के लिए करते हैं। भारत की मुखरता और भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका आर्थिक और वैचारिक दोनों कारणों से अपने रुख में बदलाव कर रहा है।

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