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  • बिना ID वेरिफिकेशन नहीं चला पाएंगे सोशल मीडिया, आयरलैंड छेड़ेगा मुहिम, जानें क्या है पूरा मामला?

    आयरलैंड ने यूरोपियन यूनियन (EU) में एक क्रांतिकारी कदम उठाने की तैयारी कर ली है। दरअसल आयरलैंड अपनी आने वाली EU प्रेसिडेंसी का इस्तेमाल करते हुए पूरे यूरोप में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अनिवार्य ID वेरिफिकेशन लागू करवाने की मुहिम चलाएगा। यह फैसला एनोनिमस अकाउंट्स, बॉट्स और ऑनलाइन गालीगलौज को रोकने के मकसद से लिया


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 31, 2025
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    आयरलैंड ने यूरोपियन यूनियन (EU) में एक क्रांतिकारी कदम उठाने की तैयारी कर ली है। दरअसल आयरलैंड अपनी आने वाली EU प्रेसिडेंसी का इस्तेमाल करते हुए पूरे यूरोप में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अनिवार्य ID वेरिफिकेशन लागू करवाने की मुहिम चलाएगा। यह फैसला एनोनिमस अकाउंट्स, बॉट्स और ऑनलाइन गालीगलौज को रोकने के मकसद से लिया गया है। First Post की एक रिपोर्ट के अनुसार,(REF.) आयरलैंड के डिप्टी प्राइम मिनिस्टर साइमन हैरिस और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी मिल रही थी। इसके बाद उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। चलिए डिटेल में जानते हैं कि इस फैसले का क्या मतलब है और इसका लोगों पर क्या असर पड़ेगा।

    सोशल मीडिया के लिए ID वेरिफिकेशन क्यों जरूरी?

    आयरिश न्यूज आउटलेट Extra.ie को दिए इंटरव्यू में साइमन हैरिस ने साफ कहा है कि आयरलैंड पूरे EU में ID-वेरिफाइड सोशल मीडिया अकाउंट्स की शुरुआत के लिए आवाज उठाएगा। उन्होंने बताया, “आयरलैंड में डिजिटल ऐज ऑफ कंसेंट 16 साल है, लेकिन इसे लागू ही नहीं किया जा रहा है। यह बहुत जरूरी कदम है।” हैरिस ने एनोनिमस बॉट्स के व्यापक मुद्दे पर भी चिंता जताई है, जो सिर्फ आयरलैंड की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है। हाल ही में डबलिन की एक महिला सैंड्रा बैरी को हैरिस और उनके परिवार को धमकी भरे मैसेज भेजने के लिए छह महीने की जेल हुई थी।

    अमेरिका और यूरोप के बीच टकराव

    बता दें कि इससे पहले ट्रंप सरकार EU से टेक्नोलॉजी पर रेगुलेशन को संभालने की अपील कर चुका है। इसी हफ्ते वॉशिंगटन ने पांच प्रमुख यूरोपियन हस्तियों पर वीजा बैन लगा दिया था, जिनमें पूर्व EU कमिश्नर थिएरी ब्रेटन और यूके बेस्ड रिसर्चर इमरान अहमद शामिल थे। अमेरिका का आरोप है कि ये लोग अमेरिकी कंपनियों पर “एक्स्ट्राटेरिटोरियल सेंसरशिप” लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, हैरिस को उम्मीद है कि फ्रांस के प्रेसिडेंट इमैनुएल मैक्रॉन और यूके के प्राइम मिनिस्टर कीर स्टार्मर इस मुहिम को सपोर्ट करेंगे। यह टकराव टेक कंपनियों की जवाबदेही और यूजर्स की सुरक्षा के बीच संतुलन का सवाल उठाता है।

    लोकतंत्र के लिए खतरा और टेक कंपनियों की जिम्मेदारी

    हैरिस ने साफ किया है कि यह मुद्दा सिर्फ आयरलैंड का नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोकतंत्र से जुड़ा है। उन्होंने कहा, “टेक दिग्गजों के पास बिना कानून की जरूरत के ही और ज्यादा करने की क्षमता है।” मतलब साफ है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स चाहें तो खुद से ही सख्त नियम लागू कर सकते हैं।

    आयरलैंड का यह कदम ऑनलाइन दुर्व्यवहार, फेक न्यूज़ और साइबर बुलिंग जैसी समस्याओं से निपटने का एक ठोस प्रयास साबित हो सकता है। अगर यह पहल सफल होती है, तो पूरे यूरोप में सोशल मीडिया का माहौल बदल सकता है और यूजर्स को ज्यादा सुरक्षित डिजिटल स्पेस मिल सकता है। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य देश इस मुहिम में कैसे साथ देते हैं।

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