क्या है निमेसुलाइड दवा?
निमेसुलाइड एक नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है। ये संभावित लिवर टॉक्सिसिटी और दूसरे बुरे असर के कारण दुनिया भर में जांच के दायरे में रही है। ऐसे में यह कदम सुरक्षा मानकों को सख्त करने और ज़्यादा जोखिम वाली दवाओं को धीरे-धीरे हटाने की कोशिशों के मुताबिक है। यह बैन सिर्फ इंसानों के इस्तेमाल के लिए हाई-डोज प्रोडक्ट्स पर लागू होता है, जबकि कम डोज वाले फॉर्मूलेशन और दूसरे थेराप्यूटिक विकल्पों को उपलब्ध रहने दिया गया है।
आदेश का क्या होगा असर?
निमेसुलाइड ब्रांड्स की मार्केटिंग करने वाली फार्मास्युटिकल कंपनियों को प्रोडक्शन रोकना होगा। साथ ही, प्रभावित बैचों को वापस मंगाना होगा। जबकि एनालिस्ट्स ने बड़ी दवा कंपनियों पर सीमित फाइनेंशियल असर का अनुमान लगाया है क्योंकि निमेसुलाइड कुल NSAID बिक्री का एक छोटा हिस्सा है। हालांकि, उन्होंने कहा कि जिन छोटी कंपनियों की इस पर अधिक निर्भरता है, उन्हें रेवेन्यू में दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
सरकार ने क्यों उठाया यह कदम?
भारत ने पहले भी सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कई फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन और हाई-रिस्क दवाओं पर बैन लगाने के लिए सेक्शन 26A का इस्तेमाल किया है। देश ने घरेलू एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया है। इसके तहत सितंबर 2025 तक बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने की योजना के तहत साढ़े तीन सालों में कुल 4,763.34 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।














