इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग की रिपोर्ट (ref.) बताती है कि तुर्की के दो किजिलेल्मा (Kizilelma) ड्रोन ने बिना इंसानी मदद के क्लोज फॉर्मेशन फ्लाइट का प्रदर्शन किया। दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ जब हथियारबंद, जेट-पावर्ड ड्रोन बिना मानवीय हस्तक्षेप के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑनबोर्ड सेंसरों की मदद से उड़ान भरकर लौटे। यह फ्लाइट 28 दिसंबर को तुर्की के हवाई क्षेत्र में पूरी की गई।
AI की मदद से किया डेटा एक्सचेंज
किसी भी क्लोज फॉर्मेशन फ्लाइट में दोनों विमानों के बीच तालमेल होना जरूरी है। किजिलेल्मा के बीच भी ऐसा किया जाना जरूरी था, वरना उनमें टक्कर होने का खतरा था। रिपोर्ट के अनुसार, यह एक चैलेंज था, क्योंकि दोनों ड्रोन खुद उड़ान भरने वाले थे और इंसान उन्हें कंट्रोल नहीं कर रहे थे। बताया जाता है कि विमानों ने अपने एआई और ऑनबोर्ड डेटा सेंसरों की मदद से जानकारी को एक-दूसरे तक पहुंचाया। यह इसलिए अहम है, क्योंकि दोनों ड्रोन बहुत तेजी से उड़ रहे थे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से उन्होंने सटीकता के साथ तालमेल को बनाए रखा।
तुर्की बना दुनिया का पहला देश
बिना इंसानी मदद के दो ड्रोन की क्लोज फॉर्मेशन फ्लाइट पूरी करने वाला तुर्की दुनिया का पहला देश बन गया है। जिन ड्रोन ने उड़ान भरी, उन्हें तुर्की की रक्षा कंपनी बायकर निर्मित बताया जा रहा है। अब उसके पास ऐसे ड्रोन हैं जो हथियारों से लैस हैं और उन्हें एकसाथ उड़ाने के लिए तकनीक सबसे कारगर चीज है। रिपोर्ट के अनुसार, दोनों ड्रोन इस तरह से डिजाइन किए गए है कि इन्हें इंसानों और बिना इंसानों के उड़ाया जा सके।
भविष्य में कितना काम आएगी यह तकनीक?
रिपोर्ट के अनुसार, इस उड़ान को सफल बनाने के लिए ड्रोन्स के फ्लाइट मैनेजमेंट एल्गोरिदम में जरूरी बदलाव किया गया था। कहा जाता है कि भविष्य में इस तकनीक की मदद से दो से ज्यादा ड्रोन्स को झुंड बनाकर उड़ाया जा सकेगा। वो एक-दूसरे से आपस में खुद कनेक्ट रहेंगे और इन्फर्मेशन शेयर करेंगे। यह काम एआई की मदद से अपने आप होगा और मैनपावर यानी इंसानों को दूसरे कामों में लगाया जा सकेगा।















