अष्टधातु का छल्ला पहनने के नियम
- शास्त्रों के अनुसार अष्टधातु से निर्मित छल्ला या अंगूठी शनिवार और मंगलवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इसे पूर्णिमा और शुक्ल पक्ष में शुभ मुहूर्त में धारण करना अत्यंत लाभदायक माना गया है। इससे जातक के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।
- अष्टधातु के छल्ले को अनामिका उंगली में पहनना सबसे उत्तम माना जाता है। इसके अलावा, आप यह छल्ला तर्जनी उंगली में भी धारण कर सकते हैं, इसे गुरु की उंगली माना जाता है। इससे ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव से बचाव होता है।
- अष्टधातु का छल्ला धारण करने से पहले स्नानादि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। फिर, पूजा-पाठ करके अपने कुल देवी-देवता, भाग्येश अथवा लग्नेश के मंत्रों का जाप करके छल्ला धारण करना चाहिए। इसे पूर्व दिशा की ओर मुख करके पहनना उत्तम माना जाता है।
- शनिवार या मंगलवार के दिन छल्ले को धारण करने से पहले इसे गंगाजल से शुद्ध भी अवश्य करना चाहिए और धूप अगरबत्ती दिखाकर अष्टधातु का छल्ला या अंगूठी धारण करें। इसे धारण करने वालों को तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
- मेष, वृश्चिक, धनु, मकर और कुंभ आदि राशि वालों को अष्टधातु का छल्ला अवश्य धारण करना चाहिए। ऐसा करने से बेहद शुभ फल की प्राप्ति होती है। वहीं, जिनकी कुंडली में राहु की स्थिति अशुभ हो वे भी इस छल्ले को पहन सकते हैं।
- अष्टधातु का छल्ला धारण करने से पहले ज्योतिषी को अपनी कुंडली जरूर दिखानी चाहिए। उनकी सलाह लेकर सही धातु धारण करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
अष्टधातु का छल्ला पहनने के फायदे
ज्योतिषशास्त्र में अष्टधातु के छल्ले को धारण करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे कुंडली में ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है और उनकी स्थिति भी सही की जा सकती है। अगर आप करियर, नौकरी या कारोबार में समस्याओं और बाधाओं का सामना कर रहे हैं तो उससे भी यह निजात दिला सकता है। इससे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही, फिजूलखर्ची कम होने लगती है। लेकिन अष्टधातु का छल्ला धारण करने से पहले नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इससे जातक को जीवन में सुखों की प्राप्ति हो सकती है और सफलता के मार्ग खुलते हैं।














