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  • CAG Report: कमाई बढ़ाने में नाकाम रहा रेलवे, खाली जमीन का नहीं किया सही इस्तेमाल, बकाया वसूली में भी पीछे, कैग रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता

    नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी हालिया रिपोर्टों में कुछ चिंताजनक बातें बताई हैं। कैग (CAG) ने पाया कि रेलवे अपनी खाली पड़ी विशाल जमीनों का इस्तेमाल करके कमाई बढ़ाने में नाकाम रहा है। साथ ही, मार्च 2023 तक 269 निजी साइडिंग मालिकों से 4,087 करोड़ रुपये का बकाया वसूल


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 21, 2025
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    नई दिल्ली: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी हालिया रिपोर्टों में कुछ चिंताजनक बातें बताई हैं। कैग (CAG) ने पाया कि रेलवे अपनी खाली पड़ी विशाल जमीनों का इस्तेमाल करके कमाई बढ़ाने में नाकाम रहा है। साथ ही, मार्च 2023 तक 269 निजी साइडिंग मालिकों से 4,087 करोड़ रुपये का बकाया वसूल नहीं किया गया था। यह सब कमजोर निगरानी और नियमों को लागू करने में ढिलाई की ओर इशारा करता है।

    कैग की ऑडिट रिपोर्ट रेलवे की दो मुख्य गतिविधियों पर केंद्रित थी। पहली थी रेलवे की खाली जमीनों का व्यावसायिक इस्तेमाल और उनसे कमाई बढ़ाना। दूसरी थी मल्टी-फंक्शनल कॉम्प्लेक्स (MFC) का निर्माण। यह ऑडिट 2018-19 से 2022-23 तक की अवधि के लिए किया गया था।
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    2 फीसदी जमीन का भी इस्तेमाल नहीं

    रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2023 तक रेलवे के पास 4.88 लाख हेक्टेयर जमीन थी। इसमें से 62,740 हेक्टेयर जमीन खाली पड़ी थी। इस खाली जमीन का केवल 997.8 हेक्टेयर, यानी सिर्फ 1.6% हिस्सा ही RLDA (रेलवे लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) को सौंपा गया था। इस दौरान, रेलवे बोर्ड को 657 हेक्टेयर जमीन के लिए 188 प्रस्ताव मिले थे। इनमें से 188 में से 59 प्रस्ताव RLDA को सौंपे गए। इसके बाद RLDA ने 35 जगहों को डेवलपर्स को आवंटित किया।

    क्यों नहीं हो पाई रेलवे की कमाई?

    रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि इतनी सारी जमीन खाली होने के बावजूद, RLDA मार्च 2023 तक अपने पास आई जमीन का केवल 8.8% (87.76 हेक्टेयर) ही विकास के लिए आवंटित कर पाया। यह भी देखा गया कि कई जमीनों को RLDA को सौंप दिया गया था, जबकि उन पर मालिकाना हक के मुद्दे, अतिक्रमण या अन्य बाधाएं अभी भी हल नहीं हुई थीं। इस वजह से उन जगहों से कमाई नहीं हो पा रही थी। कैग रिपोर्ट में ऐसी कई व्यवस्थागत और परिचालन संबंधी समस्याओं का पता चला, जिन्होंने रेलवे की जमीनों से समय पर कमाई करने और राजस्व वसूलने में बाधा डाली।

    तालमेल की कमी आई सामने

    कैग ने यह भी देखा कि जब रेलवे बोर्ड RLDA को जमीन सौंपने के प्रस्तावों पर काम कर रहा था, तब उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि जमीन पर कोई अतिक्रमण या अन्य बाधाएं न हों। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेलवे में विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी ने देरी में महत्वपूर्ण योगदान दिया। रिपोर्ट में चिंताजनक बात यह भी बताई गई कि चौंकाने वाली बात यह है कि मार्च 2023 तक आवंटित की गई कोई भी व्यावसायिक साइट विकसित नहीं हुई थी।

    एक दूसरी रिपोर्ट में कैग ने रेलवे जोन की निजी साइडिंग मालिकों से बकाया राशि वसूलने में विफलता का पता लगाया। कैग ने रेलवे को बकाया राशि की वसूली में सुधार और उसे ट्रैक करने के लिए कई उपाय सुझाए हैं।

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