जावेद खानानी और अल्ताफ खानानी, दोनों भाई थे, जिन्हें पाकिस्तान के सबसे बड़े मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का मास्टरमाइंड माना जाता है। हालांकि जावेद खानानी की साल 2016 में रहस्यमय हालात में बिल्डिंग से गिरने से मौत हो चुकी है। लेकिन बॉलीवुड फिल्मों में दिखाए जाने वाले काल्पनिक ‘खानानी ब्रदर्स’ के पीछे की असली कहानी इससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। भारत की आर्थिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने से लेकर आतंकी संगठनों को फंडिंग तक, यह नेटवर्क पाकिस्तान के कराची से लेकर दुबई तक और इससे भी आगे तक फैला था। ये ISI की छत्रछाया में काम करता था।
खानानी ब्रदर्स की असली कहानी
खानानी ब्रदर्स, “खानानी एंड कालिया इंटरनेशनल” (KKI) नाम की कंपनी चलाते थे। जिसे बाद में जाकर अमेरिकी वित्त विभाग ने “महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय आपराधिक संगठन” घोषित करते हुए बैन लगा दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, KKI का नेटवर्क कराची, दुबई, टोरंटो और पूर्वी अफ्रीका तक फैला हुआ था। अमेरिकी और भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, यह नेटवर्क लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और दाऊद इब्राहिम के डी-कंपनी जैसे आतंकी संगठनों के लिए एक फाइनेंशियल स्विचबोर्ड की तरह काम करता था। हवाला के जरिये नकली करेंसी, ड्रग मनी और आतंकी फंडिंग को वैध सिस्टम से दूर रखकर घुमाया जाता था, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुंचा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जावेद खानानी इस नेटवर्क का रहस्यमय चेहरा था। ये काफी कम दिखता था, लेकिन दिमाग इसी का काम करता था। वह किसी बॉलीवुड विलेन जैसा नहीं दिखता था, बल्कि एक साधारण कारोबारी की तरह काम करता था। 2000 के दशक के मध्य तक वह सिर्फ एक करेंसी डीलर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग सिस्टम का अहम हिस्सा बन चुका था। 2016 में कराची में उसकी रहस्यमयी मौत हो गई। और ये वही वक्त था जब भारत में नोटबंदी लागू हुई थी। नोटबंदी ने जाली नोट चलाने वाले वित्तीय नेटवर्क और हवाला सिस्टम की कमर तोड़ दी थी और नोटबंदी ने ही खानानी नेटवर्क की रीढ़ की हड्डी भी तोड़ दी थी। जावेद की मौत आज भी संदेह के घेरे में मानी जाती है।
अल्ताफ खानानी कौन है?
अल्ताफ खानानी का जन्म 1961 में हुआ था और उसे भी दुनिया के सबसे कुख्यात मनी लॉन्ड्ररों में गिना जाता है। उसने पाकिस्तान, मध्य पूर्व, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक फैला हवाला नेटवर्क खड़ा किया। साल 2016 में उसे अमेरिका में मनी लॉन्ड्रिंग साजिश के आरोप में गिरफ्तार कर पाकिस्तान प्रत्यर्पित किया गया और तीन साल जेल में रहने के बाद 2020 में उसे रिहा कर दिया गया। इसी नेटवर्क की वजह से भारत में नकली भारतीय करेंसी नोट (FICN) की समस्या काफी समय तक गंभीर बनी रही। दिलचस्प बात यह है कि नोटबंदी के कुछ ही हफ्तों बाद जावेद खानानी की मौत की खबर आई। बॉलीवुड फिल्म धुरंधर में इन किरदारों को दिखाया गया है, लेकिन असल जिदगी में खानानी ब्रदर्स की कहानी सिनेमा से कहीं ज्यादा खौफनाक और वास्तविक थी।















