फिलहाल भारत इन उत्पादों में से केवल 1.7 अरब डॉलर का निर्यात ही रूस को करता है। जबकि रूस इन श्रेणियों में कुल 37.4 अरब डॉलर का आयात करता है। अधिकारी ने कहा कि यह बड़ा अंतर दिखाता है कि भारतीय निर्यातकों के लिए कितनी बड़ी जगह है जहां वे अपना व्यापार बढ़ा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि निर्यात बढ़ने से भारत और रूस के बीच व्यापार घाटा भी कम हो सकता है, जो अभी 59 अरब डॉलर है। भारत के इस एक्सपोर्ट से ट्रंप की टेंशन बढ़नी तय है। क्योंकि ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है। लेकिन भारत ने अपने एक्सपोर्ट के लिए अब रूस जैसे दूसरे देश तलाशने शुरू कर दिए हैं।
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प्रोडक्ट की लिस्ट तैयार
वाणिज्य मंत्रालय ने भारत की सप्लाई की ताकत और रूस की आयात मांग का मिलान करके इन उच्च-संभावना वाले प्रोडक्ट की सूची तैयार की है। इंजीनियरिंग सामान, दवाइयां, रसायन और कृषि उत्पाद प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभरे हैं। यह भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा और रूस की अधूरी जरूरतों को दर्शाता है। रूस के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी अभी भी लगभग 2.3 प्रतिशत ही है, जो काफी कम है।
आयात में कच्चे तेल की हिस्सेदारी ज्यादा
रूस से भारत का आयात पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से बढ़ा है। साल 2020 में जहां यह 5.94 अरब डॉलर था, वहीं साल 2024 में बढ़कर यह 64.24 अरब डॉलर हो गया। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण कच्चा तेल है, जिसका आयात 2 अरब डॉलर से बढ़कर 57 अरब डॉलर हो गया। अब भारत अपने कुल कच्चे तेल आयात का लगभग 21 प्रतिशत रूस से ही खरीदता है, जिससे रूस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। इसके अलावा, रूस से उर्वरक और वनस्पति तेल भी बड़े पैमाने पर आयात किए जाते हैं।
भारत की किन चीजों की मांग?
- निर्यात की बात करें तो कृषि और उससे जुड़े प्रोडक्ट रूस में अच्छी मांग में हैं। भारत वर्तमान में इस क्षेत्र में 452 मिलियन डॉलर के उत्पाद रूस को निर्यात करता है, जबकि रूस की कुल वैश्विक आयात मांग 3.9 अरब डॉलर है।
- इंजीनियरिंग सामान में यह अंतर और भी बड़ा है। भारत केवल 90 मिलियन डॉलर का निर्यात करता है, जबकि रूस 2.7 अरब डॉलर का आयात करता है। यह अवसर और भी बढ़ रहा है क्योंकि रूस चीन पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है।
- रसायन और प्लास्टिक के मामले में भी यही स्थिति है। भारत 135 मिलियन डॉलर का निर्यात करता है, जबकि रूस 2.06 अरब डॉलर का आयात करता है।
- भारत रूस को 546 मिलियन डॉलर के फार्मा उत्पाद निर्यात करता है, जबकि रूस का कुल आयात बिल 9.7 अरब डॉलर है। इससे भारतीय जेनेरिक दवाओं और एपीआई (एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स) के लिए विकास की काफी गुंजाइश है।
इन क्षेत्रों में भी भारत के पास मौके
अधिकारी ने यह भी बताया कि इन बड़े क्षेत्रों के अलावा, कपड़ा, परिधान, चमड़े के उत्पाद, हस्तशिल्प, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और हल्के इंजीनियरिंग जैसी उद्योगों में भी निर्यात की अच्छी संभावना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत इन क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धी है और रूस की उपभोक्ता आबादी काफी बड़ी है। इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा उत्पादों की रूस के बाजार में अभी 1 प्रतिशत से भी कम हिस्सेदारी है, लेकिन इनकी मांग काफी है। अगर वितरण चैनलों को मजबूत किया जाए तो इस मांग को पूरा किया जा सकता है।














