25 तरह की दवाएं मंगा रहा अफगानिस्तान
हुर्रियत रेडियो इंग्लिश के X पोस्ट के अनुसार, शुरुआती दौर में, 25 तरह की दवाएं इंपोर्ट की जाएंगी। इसमें भविष्य में अफगानिस्तान की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस प्रक्रिया को बढ़ाने की योजना है। दूसरी ओर, अफगानिस्तान फार्मास्युटिकल सर्विसेज यूनियन के सदस्यों ने पुष्टि की कि देश में फिलहाल 400 से ज्यादा कंपनियां दवाओं के इंपोर्ट में लगी हुई हैं, जो हेल्थ स्टैंडर्ड के हिसाब से अच्छी क्वालिटी की दवाएं हासिल करने की कोशिश कर रही हैं।
अफगानिस्तान को दवा देता रहेगा भारत
रिपोर्ट में बताया गया कि एक भारतीय कंपनी के अधिकारियों ने दवा उत्पादन में अपने 90 सालों के अनुभव का इस्तेमाल करते हुए, हेल्थकेयर सेक्टर में अफगानिस्तान के साथ लगातार सहयोग करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया। तालिबान प्रशासित सरकार के पाकिस्तान से दवाओं के इंपोर्ट पर रोक लगाने के बाद, इंपोर्ट करने वालों को दवाएं हासिल करने के लिए दूसरे रास्ते खोजने की सलाह दी गई थी, जिसके बाद भारत से दवाओं के इंपोर्ट की यह ठोस पहल शुरू हुई।
पाकिस्तान को बड़ा झटका
पाकिस्तानी दवा निर्माता कंपनियां हर साल अफगानिस्तान को बड़ी मात्रा में दवाओं का निर्यात कर भारी मुनाफा कमाती थीं। उनकी दवाओं की गुणवत्ता निम्नस्तर की होती थी। इससे पाकिस्तानी कंपनियों की लागत कम आती थी, लेकिन वे अफगानिस्तान को पूरी कीमत पर दवाओं का निर्यात करती थीं। इससे अफगान लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता था। अब तालिबान सरकार के प्रतिबंध से पाकिस्तानी दवा निर्माता कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार बंद हो गया है। ऐसे में उन्हें दूसरे अल्टरनेटिव को देखना होगा, जहां माल पहुंचाने का लागत अफगानिस्तान के मुकाबले काफी ज्यादा होगा।















