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  • India’s First MRI Machine: भारत की पहली स्वदेशी MRI मशीन तैयार, विदेशी मशीनों से 40% सस्ती, Zoho भी रहा मददगार

    Indian MRI Machine: आखिरकार 12 साल की कड़ी मेहनत के बाद भारत अपना पहला स्वदेशी MRI स्कैनर बनाने में कामियाब हो गया है। Digital Health News की रिपोर्ट के अनुसार, (REF.) मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इस मेड इन इंडिया MRI मशीन को एक बड़ी उपलब्धी और नया अध्याय माना जा रहा है। स्वदेशी MRI


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 29, 2025
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    Indian MRI Machine: आखिरकार 12 साल की कड़ी मेहनत के बाद भारत अपना पहला स्वदेशी MRI स्कैनर बनाने में कामियाब हो गया है। Digital Health News की रिपोर्ट के अनुसार, (REF.) मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इस मेड इन इंडिया MRI मशीन को एक बड़ी उपलब्धी और नया अध्याय माना जा रहा है। स्वदेशी MRI मशीन बनाने का कारनामा वॉक्सलग्रिड्स नाम के स्टार्टअप के संस्थापक अर्जुन अरुणाचलम और उनकी टीम ने कर दिखाया है। खास बात है कि उनका स्टार्टअप श्रीधर वेम्बू की कंपनी Zoho द्वारा समर्थित था। बता दें कि इस स्कैनर को फिलहाल नागपुर के पास चंद्रपुर कैंसर केयर फाउंडेशन में लगाया गया है। यह विदेशी कंपनियों के बनाए MRI स्कैनर की नकल नहीं, बल्कि खुद की टेक्नोलॉजी से लैस भी है। चलिए डिटेल में जानते हैं देश की पहली स्वदेशी MRI मशीने के बारे में।

    ज्यादा सस्ती और बेहतर है स्वदेशी MRI मशीन

    भारत में अभी तक इस्तेमाल होने वाले सभी MRI मशीनें सीमेंस, जीई हेल्थकेयर जैसी विदेशी कंपनियों से आते थे। हालांकि अब भारत ने भी मेडिकल टेक्नोलॉजी के इस क्षेत्र में अपना परचम लहरा दिया है। वॉक्सलग्रिड्स ने 1.5 टेस्ला मैग्नेटिक फील्ड स्ट्रेंथ वाला स्कैनर बनाया है और यह परंपरागत मशीनों से काफी अलग है। दरअसल इस मशीन में लीक्विड हीलियम इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस वजह से इसे बनाने की लागत करीब 40% कम हो जाती है।

    अर्जुन अरुणाचलम के अनुसार इस मशीन के पुर्जो को इस तरह सलीके से पैक किया गया है कि यह बिजली की कम खपत पर भी बेहतरीन तरीके से काम करती है। इससे अस्पतालों को चलाने की लागत में भी भारी कमी आएगी।

    छोटे अस्पतालों के लिए पेश किया पे-पर-यूज मॉडल

    स्वदेशी MRI मशीन बनाने वाली इस कंपनी ने सस्ती MRI मशीन बनाने के साथ-साथ एक अनोखा पे-पर-यूज मॉडल भी पेश किया है। यह मॉडल छोटे अस्पतालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस मॉडल के अनुसार अस्पताल स्वदेशी MRI मशीन के लिए धीरे-धीरे भुगतान कर सकते हैं। गौरतलब है कि भारत में फिलहाल सिर्फ 5,000 MRI मशीनें हैं, यानी 10 लाख लोगों पर केवल 3.5 मशीनें। इस मॉडल से भारत में MRI स्कैनर की पहुंच काफी बढ़ेगी, जिससे ज्यादा लोगों को बेहतर जांच की सुविधा मिल सकेगी।

    अब आगे क्या?

    वॉक्सलग्रिड्स अपने बेंगलुरु स्थित मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में हर साल 20 से 25 स्कैनर बनाने की क्षमता रखता है। इस कंपनी को श्रीधर वेम्बू की कंपनी जोहो से 5 मिलियन डॉलर की फंडिंग भी हासिल है। ऐसे में यह आगे मोबाइल कंटेनराइज्ड MRI स्कैनर बनाने का काम भी करेगे। हालांकि फिलहाल इनका फोकस भारत की जरूरतों को पूरा करने पर है। हालांकि आने वाले समय में इन स्वदेशी MRI स्कैनर को विदेशों मे निर्यात भी किया जाएगा।

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