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  • Infosys ADR: क्या है शॉर्ट स्क्वीज? जिसके कारण इंफोसिस एडीआर के शेयर ने अमेरिका में मचाया तूफान, जानें पूरी डिटेल

    नई दिल्ली: देश की दूसरी बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के अमेरिकी शेयरों में शुक्रवार को ट्रेडिंग शुरू होते ही अचानक 40% का उछाल आ गया। कुछ ही मिनटों में कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन अरबों डॉलर बढ़ गया। इस जबरदस्त उछाल के कारण इंफोसिस के अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट्स (ADRs) 52 हफ्ते की सबसे ऊंची कीमत 30


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 20, 2025
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    नई दिल्ली: देश की दूसरी बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस के अमेरिकी शेयरों में शुक्रवार को ट्रेडिंग शुरू होते ही अचानक 40% का उछाल आ गया। कुछ ही मिनटों में कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन अरबों डॉलर बढ़ गया। इस जबरदस्त उछाल के कारण इंफोसिस के अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट्स (ADRs) 52 हफ्ते की सबसे ऊंची कीमत 30 डॉलर पर पहुंच गए। इतनी ज्यादा अस्थिरता के चलते न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज ( NYSE ) को ट्रेडिंग रोकनी पड़ी।

    यह तेजी ऐसे समय में आई जब शेयर बाजार में कारोबार बहुत कम हो रहा था, क्योंकि यह एक छुट्टी का दिन था। कंपनी की तरफ से ऐसा कोई नया ऐलान नहीं हुआ था, जिसके कारण यह उछाल आया हो। इस घटना ने शॉर्ट सेलिंग (शेयरों को गिरते भाव पर बेचने की रणनीति), ऑटोमेटेड ट्रेडिंग सिस्टम (कंप्यूटर द्वारा स्वचालित रूप से शेयर खरीदने-बेचने की प्रणाली) और छुट्टियों के कारण कम हुई लिक्विडिटी (बाजार में पैसों की उपलब्धता) पर ध्यान खींचा है। बाजार में एक आम राय यह थी कि यह एक शॉर्ट स्क्वीज ( Short Squeeze ) के कारण हुआ।
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    क्या शॉर्ट स्क्वीज की वजह से आई तेजी?

    इंफोसिस एडीआर शेयर में तेजी की एक बड़ी वजह शॉर्ट स्क्वीज को बताया जा रहा है। शॉर्ट स्क्वीज तब होता है जब जो लोग किसी शेयर के दाम गिरने पर दांव लगाते हैं, उन्हें दाम बढ़ने पर जल्दी-जल्दी शेयर खरीदने पड़ते हैं। इससे शेयर के दाम और भी तेजी से बढ़ते हैं।

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ ट्रेडर्स ने बताया कि एक बड़े लेंडर ने इंफोसिस के करीब 45 से 50 मिलियन ADR शेयर वापस मंगा लिए थे, जो पहले उधार दिए गए थे। यह संख्या इंफोसिस के रोजाना के सामान्य कारोबार (लगभग सात से आठ मिलियन शेयर) से कहीं ज्यादा है। जब बाजार में शेयर कम होते हैं, तो ऐसे में शॉर्ट सेलर्स को शेयर खरीदने के लिए भागना पड़ता है, जिससे कीमतों में तेजी आ जाती है।

    पहले जानें शॉर्ट सेलिंग

    शॉर्ट स्क्वीज को सही से जानने से पहले शॉर्ट सेलिंग की अवधारणा को समझना जरूरी है। ज्यादातर निवेशक बाजार में खरीदे गए एसेट्स (शेयर, सोना, चांदी आदि) को खरीदकर लंबे समय तक अपने पास रखना पसंद करते हैं। लेकिन, ट्रेडर्स आमतौर पर कम समय के लिए दांव लगाते हैं। शॉर्ट सेलिंग में एसेट को उधार लेना पड़ता है ताकि उसे तुरंत बेचा जा सके और बाद में उसे वापस खरीदा जा सके ताकि उधार देने वाले को लौटाया जा सके। उधार लेने और देने की यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑटोमेटिक होती है और इसमें आपको बस अपनी पोजीशन खोलनी और बंद करनी होती है। यही शॉर्ट सेलिंग है, जो आमतौर पर इस उम्मीद पर की जाती है कि कीमतें गिरेंगी।

    आमतौर पर, शॉर्ट सेलिंग की शुरुआत इस उम्मीद से होती है कि सिक्योरिटी की कीमत गिरने वाली है। हालांकि, ऐसा हमेशा नहीं होता। अगर कीमतें गिरती हैं, तो शॉर्ट सेलर को मुनाफा होता है। अगर कीमतें उसके तय किए गए लक्ष्य मूल्य या बाहर निकलने के किसी अन्य पैरामीटर तक पहुंच जाती हैं, तो शॉर्ट सेलर उस सिक्योरिटी को वापस खरीदकर अपनी पोजीशन को कवर कर लेता है। यानी शॉर्ट सेलर्स तब मुनाफा कमाते हैं जब वे जिस कीमत पर वापस खरीदते हैं, वह उस कीमत से कम होती है जिस पर उन्होंने बेचा था।

    क्यों की जाती है शॉर्ट सेलिंग?

    किसी कंपनी के फंडामेंटल के आधार पर लंबे समय तक स्टॉक में निवेश करने और उसे होल्ड करने के बजाय, शॉर्ट सेलिंग आमतौर पर या तो सट्टा लगाने या हेजिंग (जोखिम कम करने) के इरादे से की जाती है। सट्टेबाज आमतौर पर स्टॉक में संभावित गिरावट से मुनाफा कमाने की कोशिश में शॉर्ट सेलिंग करते हैं, जबकि हेजर्स कीमत के जोखिम को कम करने के लिए ऐसा करते हैं। इसे एक उदाहरण से समझते हैं

    • मान लीजिए किसी कंपनी के शेयर की कीमत 100 रुपये है।
    • कुछ फंडामेंटल, टेक्निकल या ऑर्डर फ्लो एनालिसिस के आधार पर कुछ ट्रेडर्स को लगता है कि शेयर की कीमतें गिरने वाली हैं।
    • ऐसे में ट्रेडर लाभ उठाने के लिए उन शेयरों की बड़ी संख्या (मान लीजिए 500 शेयर) 100 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से बेच देता है।
    • ट्रेडिंग के दिन के दौरान कीमत वास्तव में गिर जाती है और वह शेयर 60 रुपये पर आ जाता है। इसके बाद वह शॉर्ट सेलर खुले बाजार से उन 500 शेयर को 60 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से वापस खरीदकर अपनी पोजीशन को कवर कर लेता है।
    • ऐसे में उस शॉर्ट सेलर को प्रति शेयर 40 रुपये और कुल 500 शेयर पर 20000 रुपये का मुनाफा होता है।

    क्या है शॉर्ट स्क्वीज?

    अब बात शॉर्ट स्क्वीज की। यह शॉर्ट सेलिंग के उलट है। जब किसी ट्रेडर को लगता है कि शेयर की कीमत बढ़ने वाली है तो वे उस कंपनी के शेयर को खुले बाजार से खरीदने लगते हैं। वहीं उन निवेशकों को नुकसान से बचने के लिए ऊंचे दामों पर शेयर वापस खरीदने पड़ते हैं, जिन्होंने शेयरों के दाम गिरने पर दांव लगाया था। शॉर्ट सेलर्स कीमतों में और बढ़ोतरी से पहले अपनी पोजीशन को कवर करने की जल्दी में शेयर खरीदना शुरू कर देते हैं। ऐसे में उस शेयर की मांग बढ़ जाती है और उसकी कीमत में तेजी आती है। ऐसा होने पर और अधिक शॉर्ट कवरिंग (शेयरों को वापस खरीदना) होती है।

    वापस आ सकती है कीमत

    शेयर में जबरदस्त खरीदारी से इतना असंतुलन होता है कि बिकने वाली लिक्विडिटी उसका मुकाबला नहीं कर पाती। इसका नतीजा होता है कि शेयर की कीमत में तेज और अचानक बढ़ोतरी होती है। कभी-कभी शॉर्ट स्क्वीज की घटना होने के बाद बाजार की कीमतें सामान्य हो जाती हैं और इसके बाद कीमत में तेज गिरावट आ सकती है, जो आमतौर पर उस कीमत की सीमा तक वापस चली जाती है जहां से यह चाल शुरू हुई थी।

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