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  • Luxury Housing Market: प्रदूषण ने बदली लग्जरी प्रॉपर्टी मार्केट की हवा, गोवा से अलीबाग और कुन्नूर से कसौली तक दिखाई दे रहा असर

    नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई बड़े शहर इस समय प्रदूषण की चपेट में हैं। स्थिति यह है कि एक्यूआई 700 के पार पहुंच रहा है, तो बेहद खतरनाक कैटेगिरी में आता है। प्रदूषण के कारण लोगों को सांस से जुड़ी परेशानियां हो रही हैं। ऐसे में लोग अब साफ हवा और कम भीड़-भाड़


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 16, 2025
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    नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई बड़े शहर इस समय प्रदूषण की चपेट में हैं। स्थिति यह है कि एक्यूआई 700 के पार पहुंच रहा है, तो बेहद खतरनाक कैटेगिरी में आता है। प्रदूषण के कारण लोगों को सांस से जुड़ी परेशानियां हो रही हैं। ऐसे में लोग अब साफ हवा और कम भीड़-भाड़ वाली जगहों पर रहना पसंद कर रहे हैं। इस बदलाव का असर अब भारत के लग्जरी यानी महंगे प्रॉपर्टी मार्केट पर दिख रहा है।

    सिर्फ प्रदूषण ही नहीं, कोरोना काल में भी लोगों की आदतों में बड़ा बदलाव आया है। इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक अमीर लोग अब सिर्फ छुट्टियों में जाने के लिए घर नहीं खरीद रहे, बल्कि शहर के बाहर बने बड़े विला और प्लॉट वाले घर ज्यादा खरीद रहे हैं। इस वजह से गोवा, अलीबाग, कुन्नूर और कसौली जैसी जगहों पर लोग ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
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    क्यों आ रहा इसमें बदलाव?

    इस्प्रावा ग्रुप के एमडी और को-सीईओ निभ्रांत शाह कहते हैं कि यह बदलाव सच है और इसे मापा जा सकता है। अब दूसरे घर सिर्फ वीकेंड पर मौज-मस्ती के लिए नहीं हैं। खरीदार अब इन घरों में हफ्तों, यहां तक कि महीनों तक रह रहे हैं और वहीं से काम भी कर रहे हैं। हाइब्रिड वर्क की वजह से यह अब लग्जरी नहीं, बल्कि एक मुमकिन जीवनशैली बन गई है। उन्होंने यह भी बताया कि यह बाजार अब पहले से ज्यादा व्यवस्थित हो गया है। पहले यह बिखरा हुआ था, लेकिन अब नौजवान और मिलेनियल्स इस बदलाव में बड़ा योगदान दे रहे हैं।

    इस बढ़ती मांग को जमीन की बढ़ती खरीद से समझा जा सकता है। जेएलएल इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 18 महीनों में डेवलपर्स ने 23 शहरों में 2300 एकड़ से ज्यादा जमीन खरीदी है। इसमें से 38% से ज्यादा जमीन प्लॉट या कम ऊंचाई वाले घरों के लिए रखी गई है।

    प्रदूषण से दूर आशियाना

    ‘द हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा’ के चेयरमैन अभिनंदन लोढ़ा बताते हैं कि खरीदार अब ऐसी जगहों पर दूसरे घर ढूंढ रहे हैं जहां वे प्रदूषण वाले महीनों में, खासकर नवंबर से फरवरी के बीच, ज्यादा समय बिता सकें। इन प्रॉपर्टीज को अब सिर्फ कभी-कभार इस्तेमाल होने वाली चीज नहीं माना जा रहा, बल्कि ये शहरों की भीड़-भाड़ से बचने के लिए मौसमी रहने के समाधान बन गए हैं।

    उनके अनुसार, आजकल लोग बड़े प्राइवेट ओपन स्पेस, प्रकृति के करीब और मुख्य शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी वाली जगहों पर घर खरीद रहे हैं। खरीदारों की हैसियत के हिसाब से मुंबई के पास गोवा, अलीबाग और खोपोली जैसी जगहें अच्छी मिसालें हैं।

    हवा की क्वालिटी मुख्य कारण

    लग्जरी प्रॉपर्टीज में डील करने वाले प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स का कहना है कि दूसरे घरों की मांग अब मौज-मस्ती से ज्यादा हवा की क्वालिटी और इस्तेमाल पर निर्भर करती है। दक्षिण मुंबई के क्लाइंट्स के साथ काम करने वाले प्रॉपर्टी कंसल्टेंट विक्रम कपूर बताते हैं कि सर्दियों के महीनों में बड़े शहरों में AQI का स्तर अक्सर ‘खराब’ से ‘गंभीर’ हो जाता है। इसकी वजह से अमीर खरीदार ऐसी जगहों की तलाश में रहते हैं जहां हवा की क्वालिटी और ट्रैफिक लगातार बेहतर रहे।

    कैसे मकानों की मांग ज्यादा

    इसी को देखते हुए कई बड़े डेवलपर्स जो पहले शहरों में प्रॉपर्टीज बनाते थे, अब प्रीमियम प्लॉट और कम ऊंचाई वाले विला क्लस्टर बना रहे हैं। वे कम घनत्व वाले घर, गेटेड प्लॉट डेवलपमेंट और मैनेज्ड विला कम्युनिटीज की तरफ ध्यान दे रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि खरीदार सिर्फ प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ने के बजाय, लंबे समय तक रहने लायक, अच्छी मेंटेनेंस और व्यवस्थित डेवलपमेंट वाली प्रॉपर्टीज चाहते हैं।

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