इंग्लैंड के खिलाफ लिए थे आज ही 8 विकेट
दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में 23 दिसंबर, 1972 को भारत-इंग्लैंड के बीच सीरीज के पहले टेस्ट मैच का तीसरा दिन था। टेस्ट के पहले दिन टीम इंडिया 173 रन पर लुढ़क चुकी थी, जिसके बाद इंग्लैंड को भी भारतीय स्पिनरों ने महज 200 रन पर समेट दिया। इसमें सबसे बड़ा योगदान चंद्रशेखर का रहा, जिन्होंने 41.5 ओवर में महज 79 रन देकर इंग्लैंड के 8 बल्लेबाज पवेलियन लौटाए। चंद्रा ने भारत को टेस्ट मैच में ही वापस नहीं लौटाया बल्कि अपने करियर का भी बेस्ट बॉलिंग परफॉर्मेंस करके रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज कर लिया। वह दुनिया के उन चुनिंदा गेंदबाजों में शुमार हो गए, जिनके नाम पर पारी में 8 विकेट उस समय तक दर्ज थे।
टेस्ट फिर भी इंग्लैंड ही जीत गया
इंग्लैंड ने इस टेस्ट मैच की दूसरी पारी में भी भारतीय बल्लेबाजों को महज 233 रन पर आउट कर लिया। इंग्लैंड को जीत के लिए 207 रन बनाने थे, जिसे भारतीय स्पिनरों, खासतौर पर चंद्रशेखर के सामने बड़ी चुनौती माना गया था। बिशन सिंह बेदी ने 2 विकेट और चंद्रशेखर ने 1 विकेट जल्दी-जल्दी लेकर इंग्लैंड का स्कोर 76 रन पर 3 विकेट कर दिया। लेकिन ओपनर बैरी वुड के 45 रन के बाद ‘टोनी’ की जोड़ी ने जमकर बल्लेबाजी की और टेस्ट जिता दिया। टोनी ग्रेग (जो बाद में मशहूर कमेंटेटर बने) ने नॉटआउट 40 रन और कप्तान टोनी लुइस ने नॉटआउट 70 रन बनाए और इंग्लैंड ने 4 विकेट पर 208 रन बनाकर टेस्ट जीत लिया।
पहला टेस्ट हारे, फिर चंद्रा ने सीरीज जिताई, रिकॉर्ड बनाया
भारतीय टीम इस सीरीज का पहला टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ चंद्रा की रिकॉर्ड परफॉर्मेंस के बावजूद हार गई थी, लेकिन चंद्रशेखर का जादू सीरीज के बाकी मैचों में भी चलता रहा। टीम इंडिया ने सीरीज के अगले दोनों टेस्ट मैच जीते। कलकत्ता (अब कोलकाता) के ईडन गार्डंस में भारत ने 28 रन से जीत हासिल की, जबकि मद्रास (अब चेन्नई) के चेपक में टीम इंडिया 4 विकेट से जीती। सीरीज के अगले दोनों टेस्ट मैच ड्रॉ रहे और आखिर में भारतीय टीम 2-1 से विजेता बनी। इस जीत में चंद्रशेखर ने 35 विकेट चटकाए। यह आज तक किसी भी भारतीय गेंदबाज का एक टेस्ट सीरीज में बेस्ट परफॉर्मेंस है, जिसे अनिल कुंबले से लेकर रविचंद्रन अश्विन या हरभजन सिंह तक कोई भी दिग्गज भारतीय स्पिनर पार नहीं कर पाया है।
इंग्लैंड में पहली सीरीज जीत से ऑस्ट्रेलिया में पहली टेस्ट जीत तक
चंद्रशेखर पारंपरिक तरीके के लेग स्पिनर नहीं थे। वे गेंद को ज्यादा फ्लाइट देने के बजाय उसकी तेजी और घुमाव पर विकेट चटकाते थे। उनकी इसी कला के चलते भारतीय टीम के खाते में कई ऐतिहासिक पल जुड़े। चंद्रशेखर ने 1971 में द ओवल के मैदान पर 38 रन देकर 6 विकेट लेते हुए टीम इंडिया को जीत दिलाई थी, जिससे भारतीय टीम पहली बार इंग्लैंड की धरती पर सीरीज जीतने में सफल रही थी। इसके 7 साल बाद 1978 में चंद्रशेखर ने ऑस्ट्रेलिया में इतिहास रचा था, जब मेलबर्न टेस्ट में उन्होंने 104 रन देकर 12 विकेट लेते हुए टीम इंडिया को जीत दिलाई थी। यह ऑस्ट्रेलिया में भारतीय क्रिकेट टीम की पहली टेस्ट जीत थी। चंद्रशेखर ने 58 टेस्ट मैच में 2.70 के कंजूसी भरे इकोनॉमी रेट से 242 विकेट चटकाए थे, जिसमें पारी में 5 विकेट 16 बार और मैच में 10 विकेट 2 बार उनके खाते में दर्ज हुए थे। चंद्रशेखर ने सबसे ज्यादा 23 टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेलकर 95 विकेट लिए थे, जबकि वेस्टइंडीज के खिलाफ 15 टेस्ट में ही 65 विकेट उन्होंने चटका दिए थे।














