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  • Pradosh Vrat January 2026 Date : साल 2026 का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत करने का विधान होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से बेहद शुभ फल की प्राप्ति होती है और भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से जातक


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 29, 2025
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    प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में खास महत्व होता है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत करने का विधान होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से बेहद शुभ फल की प्राप्ति होती है और भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से जातक को जीवन में हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि साल 2026 का पहला प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा। प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि भी जानें…

    प्रदोष व्रत 2026 कब है?
    पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 31 दिसंबर 2025, बुधवार के दिन मध्यरात्रि के बाद 1 बजकर 48 मिनट पर होगा। वहीं, त्रयोदशी तिथि का समापन अगले दिन यानी 1 जनवरी 2026, गुरुवार को रात के समय 10 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, साल 2026 का पहला प्रदोष व्रत 1 जनवरी को रखा जाएगा। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।

    प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
    साल 2026 का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार के दिन पड़ रहा है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और भगवान की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है। ऐसे में इस दिन शुभ मुहूर्त में शिवजी और माता पार्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए। 1 जनवरी, गुरुवार को प्रदोष काल 4 बजकर 55 मिनट से लेकर 6 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस अवधि के दौरान यानी प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत शुभ रहेगा।

    प्रदोष व्रत की संपूर्ण पूजा विधि
    1 जनवरी 2026, गुरुवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करना चाहिए। इसके पश्चात, साफ वस्त्र धारण करें और घर के मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें। अब एक चौकी पर साफ वस्त्र बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें। फिर, गंगाजल, दूध, दही, बेलपत्र, शहद आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। अगर संभव हो तो इस दिन रुद्राभिषेक करना चाहिए। इससे बेहद पुण्य फल प्राप्त होता है। अब शिवलिंग पर अक्षत, फूल, चंदन, धूप-दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें और फिर, विधि-विधान से पूजा करें। इस दिन ‘ओम नम: शिवाय’ मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके बाद, प्रदोष काल में शिवजी और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा व आरती करें। साथ ही, भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं।

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