हर दस्ते में शामिल होंगे दो ऊंट
आर्मी के वेटरनरी कोर में करीब तीन साल पहले ही महिला ऑफिसर्स को लेना शुरू किया गया और कैप्टन हर्षिता पहले बैच में शामिल थीं। ईस्टर्न लद्दाख की विषय परिस्थियों में लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए डबल हंप ऊंट और जांस्कार पोनी का इस्तेमाल किया जा रहा है। दस्ते दस्ते में दो बैक्ट्रियन (दो कूबड़ वाले) ऊंट शामिल होंगे। करीब दो साल पहले ईस्टर्न लद्दाख में एक नई पहल के तहत इनका इस्तेमाल शुरू किया गया।
माइनस 20 डिग्री में आराम से कर सकते हैं गश्त
इनका इस्तेमाल अंतिम छोर तक जरूरी सामान पहुंचाने और पठारी इलाकों की रेतीली जमीन में गश्त के लिए किया जाता है। ये माइनस 20 डिग्री तापमान में आराम से काम कर सकते हैं। है और 15 से 18 हजार फीट की ऊंचाई में इनका इस्तेमाल किया जा रहा। ये 200 किलो तक का वजन उठा सकते हैं।
माइनस 40 डिग्री में पहुंचाते हैं रसद
ईस्टर्न लद्दाख में आर्मी जांस्कार पोनी का भी इस्तेमाल कर रही है। ये मजबूत और सहनशील देशी नस्ल के घोड़े है, जो बेहद कठिन मौसम में भी कम बीमार पड़ते है। ये माइनस 40 डिग्री तापमान में भी काम कर सकते हैं। ये 70 किलो तक का वजन ढो सकते हैं।
ड्रोन गिराने वाले चील
रिमाउंट एंड वेटरनरी कोर के दस्ते में चार रेप्टर्स भी दिखेंगे। ये ड्रोन को मार गिराने वाले चील है। जिन्हें इस तरह ट्रेड किया गया है जो पलभर में लपकर ड्रोन को नीचे गिरा सकते है। युद्धाभ्यास में कई बार इन्हें भी शामिल किया गया है और इनकी ट्रेनिंग जारी है। दस्ते में पांच इंडियन ब्रीड में 10 कैनाइन सोल्जर (ट्रेड (ट्रेड डॉग्स) भी होगे। ये मुढोल हाउंड, रामपुर हाउंड, चिप्पीपराई, कॉम्बाई, राजा पलियम ब्रीड के है।














