ब्लूमबर्ग के मुताबिक इस बार संसद का शीतकालीन सत्र पिछले कुछ सालों में सबसे ज्यादा सक्रिय रहा। संसद ने ऐसे विधेयक पारित किए जिनसे परमाणु उद्योग में निजी कंपनियों को मौका मिलेगा और बीमा कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी पूरी तरह से संभव हो जाएगी। वित्त मंत्री ने भारत के शेयर बाजार से जुड़े कानूनों को एक ही संहिता के तहत लाने का प्रस्ताव भी रखा। इससे बाजार के नियम आधुनिक बनेंगे और ज्यादा लोग इसमें हिस्सा ले पाएंगे।
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अरबों डॉलर के निवेश की संभावना
इन सभी कदमों से अरबों डॉलर का निवेश आ सकता है। एशिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी के अडानी ग्रुप ने इन बदलावों का फायदा उठाना शुरू कर दिया है। ब्लूमबर्ग न्यूज के अनुसार, अडानी ग्रुप उत्तरी भारत के किसी राज्य में एक व्यावसायिक परमाणु ऊर्जा परियोजना बनाने की योजना बना रहा है।
पिछले 4 महीने में जबरदस्त काम
- साल 2025 की शुरुआत थोड़ी धीमी रहने के बाद मोदी सरकार ने पिछले चार महीनों में तेजी से काम किया है।
- उन्होंने जीएसटी दरों में कटौती की है और श्रम कानूनों में बड़े बदलाव लागू किए हैं। ये ऐसे बदलाव हैं जिनकी मांग व्यापार जगत लंबे समय से कर रहा था।
- साथ ही उन्होंने यूरोपीय संघ सहित कई देशों के साथ व्यापार वार्ताएं तेज कर दी हैं। गुरुवार को भारत ने ओमान के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) किया। इस साल यह ओमान के साथ उनका दूसरा समझौता है, पहला यूके के साथ हुआ था।
कैसी रहेगी विकास दर?
नोमुरा होल्डिंग्स इंक. के अर्थशास्त्री सोनल वर्मा और औरोदीप नंदी ने शुक्रवार को लिखा, ‘ये कदम विविधीकरण, संरचनात्मक सुधारों और दीर्घकालिक पूंजी को आकर्षित करने की ओर एक नीतिगत बदलाव का संकेत देते हैं।’ उन्होंने 2026 में 6.9% आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है और कहा, ‘हमें 2026 में चीजें आसान होती दिख रही हैं।’
अर्थशास्त्री मार्च तक चलने वाले वित्तीय वर्ष के लिए अपने विकास अनुमानों को बढ़ा रहे हैं। उनका मानना है कि अगले साल विकास दर थोड़ी धीमी, लेकिन स्थिर 6.5% रहेगी। हालांकि, भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए 8% से अधिक की वृद्धि दर बनाए रखने की आवश्यकता है, जो इस अनुमान से कम है।
टैरिफ का कितना पड़ा असर?
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा बाजार है। अमेरिका को होने वाले निर्यात में अगस्त में ट्रंप की ओर से टैरिफ बढ़ाने के बाद से गिरावट आई है। महीनों की बातचीत के बावजूद, यह स्पष्ट नहीं है कि टैरिफ कम करने के लिए व्यापार समझौता कब होगा। भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर गिर गया है और इस साल डॉलर के मुकाबले 5% से अधिक गिर चुका है, जिससे यह एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है।














