• Business
  • अब नहीं चलेगी इंडिगो की ‘दादागीरी’, सरकार ने दो नई एयरलाइन को दी हरी झंडी

    नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की मार्केट में करीब 65% हिस्सेदारी है। लेकिन हाल में इसकी हजारों फ्लाइट्स कैंसिल हुई थीं जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इससे सबक लेते हुए सरकार ने अब यात्रियों को ज्यादा विकल्प देने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस हफ्ते मंत्रालय


    Azad Hind Desk अवतार
    By Azad Hind Desk दिसम्बर 24, 2025
    Views
    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement
    नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की मार्केट में करीब 65% हिस्सेदारी है। लेकिन हाल में इसकी हजारों फ्लाइट्स कैंसिल हुई थीं जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इससे सबक लेते हुए सरकार ने अब यात्रियों को ज्यादा विकल्प देने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस हफ्ते मंत्रालय ने दो नई एयरलाइनों को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी किए हैं। सरकार का मानना है कि भारत में कम से कम 5 बड़ी एयरलाइन के लिए गुंजाइश है। अभी इसमें इंडिगो और एयर इंडिया का दबदबा है।

    यूनियन एविएशन मिनिस्टर राम मोहन नायडू ने मंगलवार को X पर बताया कि पिछले एक हफ्ते में उन्होंने नई एयरलाइनों की टीमों से मुलाकात की है जो भारतीय आसमान में उड़ान भरने की तैयारी कर रही हैं। इनमें शंख एयर, अल हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस शामिल हैं। शंख एयर को पहले ही सरकार से NOC मिल चुका है जबकि अल हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस को इस हफ्ते NOC मिले हैं। सरकार चाहती है कि एविएशन मार्केट में ज्यादा से ज्यादा एयरलाइनों को बढ़ावा मिले।

    इंडिगो संकट पर आज आ सकती है डीजीसीए की जांच रिपोर्ट, कार्रवाई की तैयारी में अधिकारी

    ऑपरेटिंग कॉस्ट

    भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते एविएशन मार्केट्स में से एक है। उड़ान जैसी योजनाओं ने स्टार एयर, इंडिया वन एयर और फ्लाई91 जैसी छोटी एयरलाइनों को देश के अंदर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में अहम भूमिका निभाने में मदद की है और अभी भी आगे बढ़ने की काफी गुंजाइश है। एविएशन इंडस्ट्री चाहती है कि सरकार उन कारणों पर करीब से नजर डाले जिनकी वजह से भारत में एयरलाइनों के लिए ऑपरेटिंग कॉस्ट दुनिया में सबसे ज्यादा है। इसमें मुख्य रूप से जेट फ्यूल की ऊंची कीमतें और टैक्स शामिल हैं।

    एक एविएशन एक्सपर्ट ने कहा, “भारतीय एविएशन इकोसिस्टम में एयरलाइनों को छोड़कर लगभग सभी स्टेकहोल्डर पैसा कमाते हैं। इसीलिए हम पिछले तीन दशकों या उससे भी ज्यादा समय से एयरलाइनों को लगातार बंद होते हुए देखते आ रहे हैं। एक नई एयरलाइन शुरू करना तो आसान है लेकिन उसे लंबे समय तक चालू रखना एक बड़ी चुनौती है। इसके कई कारण हैं। इनमें ऊंची लागत, टैक्स, मैनेजमेंट की कमी और फंड की कमी शामिल है।”

    Navbharat Timesएयर इंडिया को भारी पड़ा अहमदाबाद हादसा, ‘महाराजा’ से आगे निकल गई इंडिगो, क्या है मामला?

    लग्जरी नहीं है हवाई यात्रा

    हालांकि एयरलाइन कंपनियों का बंद होना कोई सिर्फ भारत की समस्या नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में ऐसा हो रहा है। लेकिन भारत में चिंता की बात यह है कि यहां एयरलाइनों के लिए लागत-विरोधी माहौल है। एक सीनियर एयरलाइन अधिकारी ने कहा कि हवाई यात्रा अब कोई लग्जरी नहीं रह गई है और इसके लिए लागत और टैक्स को तर्कसंगत बनाना जरूरी है।

    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement

    हर महीने  ₹199 का सहयोग देकर आज़ाद हिन्द न्यूज़ को जीवंत रखें। जब हम आज़ाद हैं, तो हमारी आवाज़ भी मुक्त और बुलंद रहती है। साथी बनें और हमें आगे बढ़ने की ऊर्जा दें। सदस्यता के लिए “Support Us” बटन पर क्लिक करें।

    Support us

    ये आर्टिकल आपको कैसा लगा ? क्या आप अपनी कोई प्रतिक्रिया देना चाहेंगे ? आपका सुझाव और प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्वपूर्ण है।