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  • अब मां बनने की राह में भी बाधा बना पल्यूशन, प्रदूषण के कारण बढ़े मिसकैरेज के मामले, रिपोर्ट में खुलासा

    नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में जानलेवा पल्यूशन अब सिर्फ सांस और दिल की बीमारी तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसका सीधा असर महिलाओं की प्रेग्नेंसी और प्रजनन (fertility) क्षमता पर भी दिखने लगा है। खतरनाक स्तर पर पहुंचे एक्यूआई से अस्पतालों में गर्भपात (मिसकैरेज) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्थिति यह है


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 21, 2025
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    नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में जानलेवा पल्यूशन अब सिर्फ सांस और दिल की बीमारी तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसका सीधा असर महिलाओं की प्रेग्नेंसी और प्रजनन (fertility) क्षमता पर भी दिखने लगा है। खतरनाक स्तर पर पहुंचे एक्यूआई से अस्पतालों में गर्भपात (मिसकैरेज) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्थिति यह है कि आईवीएफ के एक दिन में 10 से 15 मामले कैंसल हो रहे हैं, जिसकी वजह से डॉक्टरों की चिंता बढ़ गई है और प्रेग्नेंट महिलाओं की मुसीबत भी बढ़ गई है।

    इंडियन सोसायटी ऑफ असिस्टेट रिप्रोडक्शन की वाइस प्रेजिडेंट और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. शिवानी सचदेव गौर ने बताया कि ओपीडी में हर दिन खांसी, जुकाम-सर्दी और बुखार की शिकायत लेकर प्रेग्नेंट महिलाएं आ रही हैं। यह दिवाली के बाद से अचानक बढ़ गया है। सबसे ज्यादा दिक्कत आईवीएफ का ट्रीटमेंट वाली महिलाओं को झेलनी पड़ रही है। स्थिति यह है कि एक दिन में 10 से 15 सर्जरी के केस कैंसल किए जा रहे हैं। हर मरीज परेशान है। डॉक्टर भी परेशान है। क्योंकि जिस दिन उन्हें सर्जरी का टाइम दिया गया होता है। उस दौरान उन्हें पल्यूशन की वजह से बुखार या फिर खांसी या अन्य शिकायतें होती हैं। जिससे वह दवा लेना बंद कर रही है।

    पल्यूशन की वजह से आईवीएफ सर्जरी रद्द

    उन्होंने बताया कि बढ़ते पल्यूशन की वजह से आईवीएफ सर्जरी रद्द हो रही हैं। इससे प्रेग्नेंट महिलाओं का इलाज प्रभावित हो रहा है। डॉ. गौर ने सरकार से अपील की है कि दिल्ली में पल्यूशन के बढ़ते खतरे को कम करने के सख्त कदम उठाए जाएं।

    शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन बढ़ा रहे सूक्ष्म कण

    एलांटिस हेल्थकेयर, नई दिल्ली के चेयरमैन और स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता बताते हैं कि AQI 500 से ऊपर होने पर हवा में मौजूद सूक्ष्म कण (PM2.5) शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन बढ़ा देते हैं। इसका असर गर्भठहरने, भ्रूण के विकास और गर्भ को बनाए रखने की क्षमता पर पड़ता है। इसके अलावा इससे आईवीएफ में इम्प्लांटेशन फेल होने, शुरुआती मिसकैरेज और समय से पहले प्रसव का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

    इन बातों को न करें नजरअंदाज

    डॉक्टरों के अनुसार, सांस फूलना, सीने में दर्द, घरघराहट, लगातार खासी, चक्कर आना, दिल की धड़कन तेज लगना या अत्यधिक थकान महसूस होना। अगर ये लक्षण आप में है तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। वही, डॉ मनन गुप्ता बताते है कि पल्यूशन की वजह से बच्चों के फेफड़े और दिमाग का विकास प्रभावित होता है। साथ ही प्रेग्नेंट महिलाओं में कम वजन के बच्चे या फिर समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बच्चे और प्रेग्नेंट महिलाएं विशेष ऐहतियात बरते।

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