टच टाइपिंग में आते हैं काम
एक रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग टच टाइपिंग करते हैं यानी बिना कीबोर्ड देखे उस पर उंगलियों को सही जगह रखते हैं, उन्हें इन निशानों से उंगलियों को सही बटन के ऊपर रखने में मदद मिलती है। आम जिंदगी में ये बात महसूस नहीं होती, क्योंकि हम टाइपिंग करते-करते उसके आदी बन जाते हैं और ज्यादातर लोगों को ‘F’ और ‘J’ बटनों के इन निशानों के बारे में पता भी नहीं होता है। ये निशान कीबोर्ड में ‘होम रो’ यानी बीच वाली पंक्ति में होते हैं। यही वह जगह होती है, जहां टाइपिंग के दौरान उंगलियां बार-बार आती हैं।
बढ़ती है टाइपिंग की स्पीड
जो भी व्यक्ति इन दो निशानों को आधार बनाकर टाइपिंग करना सीखता है, उसकी टाइपिंग स्पीड तेज होती है। टाइपिंग में गलती की गुंजाइश कम होती है और उंगलियों को ज्यादा थकावट भी नहीं होती। इसके अलावा टाइपिंग के दौरान लैपटॉप के साथ पोश्चर भी बेहतर बनता है। कलाइयों में तनाव कम होता है। ऐसे लोग जो देख नहीं सकते, उन्हें भी यह निशान टाइपिंग के दौरान मदद करते हैं।
कहा जाता है ‘टेक्सटाइल मार्कर’
कीबोर्ड में दिखने वाले निशानों को ‘टेक्सटाइल मार्कर’ कहा जाता है। किसी भी कीबोर्ड डिजाइन में इनका खास खयाल रखा जाता है। QWERTY कीबोर्ड में आमतौर पर बायीं उंगली को ‘F’ बटन पर और दायीं उंगली को ‘J’ बटन पर रखा जाता है। इनमें लगे निशान छूने से उस जगह का पता चल जाता है, जहां उंगलियां रखकर टाइपिंग की जाती है। इस तरह के एक लेआउट तैयार होता है, जिसमें बायें हाथ को A, S, D, F उंगली पर और दायें हाथ को J, K, L बटनों पर रखा जाता है। तो अगली बार जब कोई आपसे पूछे कि कीबोर्ड में F और J बटनों पर बने निशान का मतलब क्या है? उसे बारीकी से समझा दीजिएगा।















