चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रारंभिक रूप से, हम इस आदेश पर रोक लगाने के पक्ष में हैं। सामान्यतः सिद्धांत यह होता है कि यदि कोई व्यक्ति बाहर आ चुका हो, तो अदालत उसकी स्वतंत्रता वापस नहीं लेती। लेकिन यहां स्थिति विशेष है, क्योंकि वह किसी अन्य मामले में पहले से ही जेल में बंद है। सुप्रीम कोर्ट ने CBI की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कुलदीप सिंह सेंगर की ओर से पेश अधिवक्ताओं को सुना।
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें यह प्रतीत होता है कि इस मामले में कई महत्वपूर्ण लीगल सवाल उठे हैं। हम इस तथ्य से अवगत हैं कि जब किसी दोषी या विचाराधीन कैदी को रिहा कर दिया गया हो, तो इस न्यायालय द्वारा संबंधित व्यक्ति को सुने बिना ऐसे आदेशों पर रोक नहीं लगाई जाती। लेकिन इस मामले के विशिष्ट तथ्यों को देखते हुए कि जहां दोषी एक अलग अपराध में भी सजा काट रहा है हम दिल्ली हाईकोर्ट के 23 दिसंबर 2025 के आदेश के संचालन पर रोक लगाते हैं।
हाई कोर्ट ने उन्नाव रेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे सेंगर की उम्रकैद की सजा 23 दिसंबर को निलंबित कर दी थी। उन्नाव के 2017 के दुष्कर्म मामले की पीड़िता, उसके परिवार और कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित किए जाने का लगातार विरोध कर रहा था।













