ये प्रस्तावित नियम उन AI प्रोडक्ट्स और सर्विसेज पर लागू होंगे जो चीन में पब्लिक को ऑफर की जाती हैं। इनमें वो AI शामिल हैं जो इंसानों जैसी पर्सनैलिटी दिखाते हैं, इंसानों की तरह सोचते दिखते हैं और बात करते हैं। जैसे- चैटबॉट्स जो दोस्त या साथी की तरह व्यवहार करते हैं। सरकार का मानना है कि ऐसे AI तेजी से लोकप्रिय हो रही है, लेकिन इनसे मानसिक स्वास्थ्य को खतरा भी हो सकता है। इसलिए इन पर कंट्रोल जरूरी है।
इमोशनल डिपेंडेंसी से यूजर्स को बचाना होगा
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट (Ref.) कहती है कि नियमों में सबसे बड़ा फोकस यूजर्स को एआई की लत से बचाने पर है। एआई सर्विस देने वाली कंपनियों को यूजर्स को ज्यादा इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी देनी होगी। अगर यूजर लत के संकेत दिखाए, जैसे बहुत ज्यादा समय बिताना या इमोशनल डिपेंडेंसी, तो कंपनी को बीच में हस्तक्षेप करना होगा। कंपनियों को यूजर्स की भावनाओं को पहचानने और उनकी निर्भरता का आकलन करने की व्यवस्था बनानी होगी। अगर यूजर बहुत ज्यादा भावुक हो जाए या लत लग जाए, तो कंपनी को नुकसान कम करने के लिए कदम उठाने होंगे। मसलन, लगातार दो घंटे से ज्यादा इस्तेमाल पर पॉप-अप से ब्रेक लेने की याद दिलानी होगी। लॉगिन के समय या दोबारा इस्तेमाल करने पर याद दिलाना होगा कि आप जिससे बातचीत कर रहे हैं वह एआई है, इंसान नहीं।
ऐसे कंटेट पर लगेगी लगाम
नियमों में कंटेंट पर भी साफ सीमाएं हैं। एआई सर्विसेज ऐसी सामग्री नहीं बना सकतीं जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाले, अफवाहें फैलाए, हिंसा को बढ़ावा दे या अश्लील हो। ऐसे कंटेंट पर पूरी तरह रोक होगी। यह चीन की मौजूदा एआई नियमों से मिलता-जुलता है। इन नियमों से चीन की सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि एआई समाज में गलत प्रभाव न डाले।
नियमों को अंतिम रूप देना बाकी
ये ड्राफ्ट नियम अभी सार्वजनिक राय के लिए खुले हैं। लोग अपनी सुझाव दे सकते हैं, उसके बाद इन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा। यह चीन का प्रयास है कि एआई का विकास तेज रहे, लेकिन सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके से। दुनिया में कई देश ऐसे एआई से आने वाले मानसिक जोखिमों पर चिंता जता रहे हैं और चीन ने इस पर पहला बड़ा कदम उठाया है।














