डीसीपी द्वारका अंकित सिंह ने बताया कि एसीपी डाबड़ी राज कुमार की देखरेख में SHO बिंदापुर नरेश सांगवान, हेड कॉन्स्टेबल नीरज, कॉन्स्टेबल राजेश डागर और दीपक की टीम ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों को पकड़ा। दोनों वर्कशॉप में डेटिंग-पेंटिंग और कार रिपेयर का काम करते थे।
GPS के जरिए करते थे लोकेशन ट्रैक
पुलिस ने कहा, आरोपी रिपेयर के लिए आने वाली कारों में GPS लगा देते थे। चाबी बनाने वाले को बुलाकर नकली चाबी भी बनवा लेते थे। इसके बाद मोबाइल पर कार की लोकेशन ट्रैक करते रहते थे। कुछ समय बाद मौका देखकर GPS के जरिए कार की जगह पता करते और उसे चोरी कर फरार हो जाते थे।
सिर्फ ऑटोमैटिक कारें थी निशाने पर
आरोपियों ने बिंदापुर पुलिस को बताया कि वे सिर्फ ऑटोमैटिक कारों को ही निशाना बनाते थे। 7 दिसंबर की रात 120 कार चोरी हो गई। पता चला कि डेढ़ साल पहले कार में GPS लगा दी गई। कार का पहला मालिक रिपेयर के लिए लोनी की वर्कशॉप गया था। बाद में कार बिक गई। आरोपी दिल्ली आने का इंतजार करते रहे। 7 दिसंबर की रात GPS से कार ऑन-ऑफ की गई, मालिक परेशान होता रहा। सुबह से पहले ही कार चोरी कर ली गई। दोनों आरोपी-सरवर अली और आमिर मौजपुर के रहने वाले है। इन्होंने पूछताछ में कार चोरी से जुड़े वर्कशॉप का खुलासा किया।
नंबर प्लेट से मिला सुराग
जिस कार से आरोपी वारदात को अंजाम देने आए थे, उसपर आगे की तरफ नंबर प्लेट नहीं लगी थी। जब बिंदापुर के हेड कॉन्स्टेबल नीरज, कॉन्स्टेबल राजेश डागर और आशीष की टीम ने 7 दिसंबर की रात के सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किए, तो आरोपी कैमरे में नजर आ गए। फुटेज में वारदात में इस्तेमाल कार के पीछे लगी नंबर प्लेट साफ दिखाई दी। उससे पुलिस कार के मालिक तक पहुंची। वहां से आरोपियो का सुराग मिला।














