यह तेज उछाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्टूबर 2025 में आईआईपी की वृद्धि दर घटकर सिर्फ 0.4% रह गई थी। दिवाली और छुट्टियों के कारण कारखानों में काम रुका हुआ था। इसकी तुलना में नवंबर 2024 में औद्योगिक उत्पादन 5% बढ़ा था। नवंबर के ये आंकड़े त्योहारी सीजन के बाद सामान्य उत्पादन स्तर पर वापसी और खपत में तेजी को दर्शाते हैं।
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मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा योगदान
इस रिकवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का सबसे बड़ा योगदान रहा। नवंबर में इसमें 8% की वृद्धि हुई। खास तौर पर, बेसिक मेटल्स और फैब्रिकेटेड मेटल प्रोडक्ट्स, फार्मास्यूटिकल्स और मोटर व्हीकल्स जैसे सेक्टर ने इसमें अहम भूमिका निभाई। इन क्षेत्रों ने मिलकर औद्योगिक विकास को सबसे ज्यादा गति दी।
माइनिंग गतिविधियों में भी सुधार हुआ और इस महीने 5.4% की वृद्धि दर्ज की गई। मानसून के खत्म होने और लौह अयस्क जैसी धात्विक खनिजों के उत्पादन में वृद्धि ने इसमें मदद की। हालांकि, बिजली उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले 1.5% की गिरावट आई, जिसने कुल वृद्धि को थोड़ा धीमा कर दिया।
कौन सेक्टर रहा आगे?
विकास के मामले में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले तीन क्षेत्र रहे:
1. इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन गुड्स: इस सेक्टर में 12.1% की तेजी आई।
2. मोटर व्हीकल्स, ट्रेलर और सेमी-ट्रेलर: इसमें 11.9% की वृद्धि हुई।
3. फार्मास्यूटिकल्स, मेडिसिनल केमिकल और बॉटनिकल प्रोडक्ट्स: इसमें 10.5% की वृद्धि हुई।
इन सेक्टर में भी आई तेजी
कैपिटल गुड्स के प्रोडक्शन में पिछले साल के मुकाबले 10.4% की वृद्धि हुई। इंटरमीडिएट गुड्स 7.3% और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 10.3% बढ़े। बेसिक मेटल्स के निर्माण में 10.2% की वृद्धि हुई। प्राइमरी गुड्स में 2% की मामूली वृद्धि देखी गई, जबकि कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स में 7.3% की तेजी आई।













