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  • न्यूजीलैंड के साथ जीरो टैरिफ वाली ट्रेड डील, कारोबारियों से लेकर किसानों तक को फायदा

    नई दिल्ली: भारत और न्यूजीलैंड के बीच व्यापार का एक बड़ा समझौता हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन (Christopher Luxon) से फोन पर बात की और इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को अंतिम रूप देने की घोषणा की। दोनों नेताओं ने कहा कि इस समझौते से दोनों देशों के


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 22, 2025
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    नई दिल्ली: भारत और न्यूजीलैंड के बीच व्यापार का एक बड़ा समझौता हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन (Christopher Luxon) से फोन पर बात की और इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को अंतिम रूप देने की घोषणा की। दोनों नेताओं ने कहा कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच ट्रेड, इन्वेस्टमेंट, इनोवेशन और साझा अवसर बढ़ेंगे।

    यह व्यापार समझौता मार्च 2025 में तब शुरू हुआ जब न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन भारत आए थे। दोनों देशों ने इस समझौते को अपने आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उम्मीद है कि यह समझौता आर्थिक जुड़ाव को काफी बढ़ाएगा, बाजारों तक पहुंच आसान करेगा, निवेश को बढ़ावा देगा और दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग को मजबूत करेगा। इससे नए आविष्कार करने वालों, कारोबारियों, किसानों, छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के लिए कई सेक्टर में नए अवसर पैदा होंगे। साथ ही छात्रों और युवाओं को भी नए मौके मिलेंगे।
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    दोनों देशों के एफटीए की खास बातें

    दोनों देशों के बीच जब यह समझौता लागू हो जाएगा तो न्यूजीलैंड को भारतीय सामानों पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। हर तरह के सामान पर टैक्स खत्म हो जाएगा। यानी व्यापार टैरिफ फ्री रहेगा। यह समझौता किसानों, MSMEs, मजदूरों, कारीगरों, महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे व्यवसायों और युवाओं के लिए फायदेमंद होगा। साथ ही कपड़ा, परिधान, चमड़ा और जूते जैसे ज्यादातर लोगों को रोजगार देने वाले उद्योगों के लिए भी नए मौके बनेंगे।

    • इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, प्लास्टिक, दवाइयां और रसायन जैसे उत्पादन से जुड़े उद्योगों को भी इस समझौते से लाभ मिलेगा। इस समझौते का मुख्य मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग को गहरा करना है।
    • यह व्यापार समझौता सेवाओं, लोगों की आवाजाही, सामानों के व्यापार, निवेश और व्यापार को आसान बनाने जैसे क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करेगा। इसका लक्ष्य अगले पांच सालों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है।
    • इस समझौते के तहत न्यूजीलैंड भारत में 15 सालों में 20 अरब डॉलर का निवेश करने के लिए सहमत हुआ है। यह यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (EFTA) मॉडल जैसा ही होगा। इस प्रस्तावित निवेश से मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, सेवाएं, इनोवेशन और रोजगार सृजन जैसे क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा, जो भारत के निवेश परिदृश्य के लिए एक बड़ी राहत होगी।

    किसानों की इनकम बढ़ेगी

    यह समझौता खेती-किसानी पर भी खास ध्यान देता है। भारतीय किसानों को न्यूजीलैंड के बाजार में फल, सब्जियां, कॉफी, मसाले, अनाज और प्रोसेस्ड फूड जैसे उत्पादों को बेचने के बेहतर मौके मिलेंगे। ‘एग्रीकल्चरल प्रोडक्टिविटी पार्टनरशिप’ (कृषि उत्पादकता साझेदारी), ‘सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस’ (उत्कृष्टता केंद्र) और न्यूजीलैंड की उन्नत कृषि तकनीकों तक पहुंच जैसी पहलों से किसानों की उत्पादकता बढ़ेगी, गुणवत्ता सुधरेगी और उनकी आय में वृद्धि होगी। शहद, कीवी फल और सेब जैसे बागवानी उत्पादों के लिए विशेष उपाय किए गए हैं ताकि इस क्षेत्र में टिकाऊ विकास को बढ़ावा मिले।

    सर्विस सेक्टर के लिए भी नए रास्ते

    यह एफटीए भारत के सर्विस सेक्टर के लिए भी नए रास्ते खोलेगा। इसमें इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) और IT-इनेबल्ड सर्विस, फाइनेंस, एजुकेशन, टूरिज्म और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टर शामिल हैं।

    सर्विस और लोगों की आवाजाही इस समझौते का एक अहम हिस्सा है। न्यूजीलैंड ने 118 सर्विस सेक्टर और सब-सेक्टर में भारत को बाजार पहुंच की सुविधा दी है। साथ ही 139 सर्विस सेक्टर में ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) का दर्जा दिया है। वहीं, भारत ने न्यूजीलैंड को 106 सर्विस सेक्टर में बाजार पहुंच दी है और 45 सेक्टर में MFN का दर्जा दिया है। यह पहली बार है जब न्यूजीलैंड ने किसी भी देश के साथ ऐसा समझौता किया है।

    कैसा है दोनों देशों के बीच व्यापार?

    वित्तीय वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच माल का व्यापार 1.3 अरब डॉलर था। वहीं, 2024 में वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार लगभग 2.4 अरब डॉलर था, जिसमें अकेले सेवाओं का व्यापार 1.24 अरब डॉलर था।

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