पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत में क्रिसमस से पहले तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाएं बेहद निंदनीय हैं और इससे धार्मिक अल्पसंख्यकों में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। पाकिस्तानी मीडिया ने भारत के कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के हवाला देकर क्रिसमस समारोहों को निशाना बनाने का जिक्र किया गया है।
पाकिस्तान पहले देश के हिंदुओं को बचाए
विदेश कार्यालय ने अपने बयान में कहा कि “भारत में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न गहरी चिंता का विषय है।” बयान में आरोप लगाया गया कि न सिर्फ ईसाई समुदाय के त्योहारों को निशाना बनाया गया, बल्कि मुसलमानों के खिलाफ भी “राज्य-प्रायोजित अभियानों” के तहत उनके घरों को गिराया गया और मॉब लिंचिंग की घटनाएं सामने आईं। ये वो पाकिस्तान है, जहां खुद अल्पसंख्यकों के पास कोई अधिकार नहीं है। जहां अहमदिया मुसलमानों के शवों को कब्र से निकालकर फेंक दिए जाते हैं, वो पाकिस्तान भारत पर आरोप लगा रहा है। वहीं, अखलाक हत्याकांड को लेकर भी पाकिस्तान ने जहर उगला है। पाकिस्तान ने दावा किया कि “इस मामले में दोषियों को बचाने की कोशिशों ने अल्पसंख्यकों में गहरा अविश्वास पैदा किया है।”
जबकि यूनाइटेट नेशंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में हर साल करीब 1,000 हिंदू और ईसाई लड़कियों को अगवा किया जाता है और उनका धर्म परिवर्तन कर जबरन शादी करवा दी जाती है। सिंध और दक्षिण पंजाब, अल्पसंख्यकों पर होने वाले हमलों के लिए कुख्यात है। साल 2022 में मानवाधिकार फैक्ट शीट के मुताबिक 124 हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन किया गया और मुसलमानों के साथ उनकी शादी करवा दी गई। पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के तहत 100 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जिनमें बहुत बड़ी संख्या अल्पसंख्यकों से जुड़ी है। इसके अलावा 2019 से 2025 तक हिंदुओं के खिलाफ 334 गंभीर हिंसा और हत्या के मामले दर्ज किए गये हैं।













