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  • भारत के सख्त एक्शन के बाद चीन से पीछा छुड़ा रही AsiaSat, सरकार को दिए कई अहम प्रस्ताव

    नई दिल्ली: हांगकांग के स्वामित्व वाली सैटेलाइट कंपनी एशियासैट भारत में अपने अस्तित्व को लेकर सबसे बड़े संकट का सामना करना रही है। केंद्र सरकार के चीनी हिस्सेदारी वाले सैटेलाइट्स के इस्तेमाल पर रोक लगाने के आदेश के बाद कंपनी ने भारत में अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए सरकार के समक्ष कई अहम प्रस्ताव


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 21, 2025
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    नई दिल्ली: हांगकांग के स्वामित्व वाली सैटेलाइट कंपनी एशियासैट भारत में अपने अस्तित्व को लेकर सबसे बड़े संकट का सामना करना रही है। केंद्र सरकार के चीनी हिस्सेदारी वाले सैटेलाइट्स के इस्तेमाल पर रोक लगाने के आदेश के बाद कंपनी ने भारत में अपनी सेवाएं जारी रखने के लिए सरकार के समक्ष कई अहम प्रस्ताव रखे हैं।

    कंपनी ने चीनी छाप छुड़ाने और भारत सरकार की चिंताओं को दूर करने के लिए पहली बार अपने बोर्ड में एक भारतीय स्वतंत्र डायरेक्टर को शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा, भारत में उसकी अधिकृत साझेदार कंपनी इनऑर्बिट स्पेस को ज्यादा नियंत्रण देने की भी पेशकश की गई है।

    सरकार ने परिचालन पर लगाई रोक

    फिलहाल सरकारी आदेशों के अनुसार, एशियासैट भारत में मार्च 2026 तक ही अपने परिचालन कर सकती है। इसके बाद, ब्रॉडकास्टर्स को या तो दूसरी सैटेलाइट कंपनियों के पास जाना होगा या उनके चैनल बंद हो जाएंगे। जी और जियोस्टार जैसे बड़े भारतीय ब्रॉडकास्टर्स और टेलीपोर्ट ऑपरेटर्स पहले ही भारत के GSAT और Intelsat जैसे सैटेलाइट पर शिफ्ट होना शुरू कर चुके हैं। बीबीसी, सीएनएन, अल जजीरा और ब्लूमबर्ग जैसे कई अंतरराष्ट्रीय न्यूज चैनल भी भारत में एशियासैट का इस्तेमाल करते हैं। उन्हें भी 1 अप्रैल से पहले शिफ्ट होना होगा, वरना उनके चैनल भारत में नहीं दिखाए जा सकेंगे।

    सरकार को दिए कई अहम प्रस्ताव

    अपनी सेवाएं भारत में जारी रखने के लिए, एशियासैट और उसके भारतीय पार्टनर इनऑर्बिट स्पेस ने सरकार को प्रस्ताव दिया है। वे भारत में ज्यादा विदेशी निवेश लाएंगे और ऐसी हाई-स्पीड डेटा ट्रांसमिशन क्षमता देंगे जो सिर्फ भारत के गेटवे से ही इस्तेमाल की जा सकेगी। पहली बार, कंपनी अपने बोर्ड में एक स्वतंत्र भारतीय निदेशक नियुक्त करेगी।

    टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की योजना

    इनऑर्बिट स्पेस के मैनेजिंग डायरेक्टर राजदीप सिंह गोयल ने बताया कि यह एक ऑपरेटर-लेवल एग्रीमेंट होगा, जिससे इनऑर्बिट स्पेस भारत में स्पेक्ट्रम ला सकेगा और खुद को एक रीसेलर से डोमेस्टिक ऑपरेटर के तौर पर विकसित कर सकेगा। भविष्य में भारत में ग्राउंड सिस्टम और सेवाओं में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की भी संभावना तलाशी जाएगी।

    कंपनी ने अपने शेयरधारकों का डाटा सौंपा

    चीनी मालिकाना हक को लेकर आशंकाओं को दूर करने के लिए, एशियासैट ने अपनी शेयरधारिता का पूरा डेटा IN-SPACe को सौंपा है। इस विवरण के अनुसार, जून 2025 तक अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी फर्म कार्लाइल ग्रुप की कंपनी में 49.50% आर्थिक हिस्सेदारी थी, जबकि हांगकांग की CITIC लिमिटेड की 50.50% हिस्सेदारी थी। हालांकि, दोनों भागीदारों के पास 50% वोटिंग अधिकार थे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी निर्यात नियंत्रण नियमों के तहत CEO और तकनीकी पदों पर PRC (चीन) नागरिकों की नियुक्ति पर सख्त रोक है।

    एशियासैट के सीईओ रोजर टोंग ने बताया कि कंपनी के सभी सैटेलाइट अमेरिका में बने हैं और उनके पास अमेरिकी वाणिज्य विभाग के लाइसेंस हैं।

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