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  • मनरेगा से आगे की सोच है VB-G RAM G एक्ट, विपक्ष के विरोध के बीच PM मोदी ने नए कानून का ऐसे किया समर्थन

    नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को VB-G RAM G एक्ट, 2025 का जोरदार समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून ग्रामीण रोजगार की नई परिभाषा प्रस्तुत करता है। जिसमें आय सहायता, संपत्ति सृजन और कृषि स्थिरता को एक दूसरे के खिलाफ नहीं बल्कि एक सतत प्रक्रिया के रूप में जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 24, 2025
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    नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को VB-G RAM G एक्ट, 2025 का जोरदार समर्थन करते हुए कहा कि यह कानून ग्रामीण रोजगार की नई परिभाषा प्रस्तुत करता है। जिसमें आय सहायता, संपत्ति सृजन और कृषि स्थिरता को एक दूसरे के खिलाफ नहीं बल्कि एक सतत प्रक्रिया के रूप में जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लिखे गए एक लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया, जिसमें इस नए कानून के उद्देश्य और जरूरत को समझाया गया है।

    इस लेख में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट किया है कि VB-G RAM G अधिनियम, 2025 आय सहायता, संपत्ति सृजन, कृषि स्थिरता और दीर्घकालिक ग्रामीण उत्पादकता को एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखता है, न कि एक-दूसरे के विपरीत। उनकी ओर से यह बताया गया है कि इसे लाने से पहले राज्य सरकारों के साथ व्यापक चर्चा की गई थी।

    वहीं शिवराज सिंह चौहान ने X पर अपने पोस्ट में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि मनरेगा ( MGNREGA ) से सार्थक परिणाम नहीं मिले। उन्होंने कहा कि मनरेगा की आड़ में यूपीए सरकार ने जनता को व्यापक भ्रष्टाचार के अलावा कुछ खास नहीं दिया। उन्होंने दावा किया कि नया अधिनियम कांग्रेस द्वारा छोड़ी गई गंभीर कमियों को दूर करने का प्रयास करता है।

    VB-G RAM G एक्ट को लेकर विपक्षी दलो का विरोध भी शुरू है। डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन ने चेन्नई में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। कई विपक्षी नेताओं ने केंद्र पर रोजगार गारंटी की भावना को कमजोर करने का आरोप लगाया है। वहीं सरकार का कहना है कि नए अधिनियम में एक वित्तीय वर्ष में मौजूदा 100 दिनों से बढ़ाकर कार्यदिवस को 125 दिन कर दिया गया है। सरकार ने इसे ग्रामीण परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण विस्तार बताया है।

    अधिनियम की धारा 22 में संशोधित निधि-बंटवारे का स्वरूप बताया गया है, जिसमें केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में योगदान देंगे। पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर सहित केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केंद्र का हिस्सा 90 प्रतिशत होगा, जबकि राज्य शेष 10 प्रतिशत का योगदान देंगे।

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