घरेलू शेयर बाजार बुधवार को मामूली बढ़त के साथ खुले। साल के अंत में कम ट्रेडिंग वॉल्यूम और वैश्विक स्तर पर सीमित संकेतों के बीच निवेशकों का मूड मिला-जुला लेकिन थोड़ा नरम था। विश्लेषकों का कहना है कि आगे चलकर बाजार प्रतिभागी भारत-अमेरिका व्यापार सौदे से जुड़ी खबरों, ऑटो बिक्री के आंकड़ों, बजट की घोषणाओं, तीसरी तिमाही के नतीजों और अन्य प्रमुख वैश्विक संकेतकों पर बारीकी से नजर रखेंगे।
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आज मार्केट में तेजी के 5 कारण
1. स्टील शेयरों में उछाल
सरकार ने चीन जैसे देशों से आने वाले सस्ते स्टील के आयात को रोकने के लिए कुछ खास तरह के स्टील उत्पादों पर 12% की इंपोर्ट ड्यूटी तीन साल के लिए लगा दी है। इस फैसले से घरेलू स्टील उत्पादकों को बड़ी राहत मिली है। इससे स्टील शेयरों में तेजी आई।
2. कच्चे तेल की कीमतों में नरमी
आज ब्रेंट क्रूड 0.10% गिरकर 61.27 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। जब तेल की कीमतें कम होती हैं, तो यह भारतीय शेयर बाजार के लिए अच्छी खबर होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे महंगाई का दबाव कम होता है।
3. वैल्यू बाइंग (सस्ते में खरीदारी)
बाजार में हाल ही में आई गिरावट के बाद निवेशकों ने सस्ते दामों पर मिल रहे शेयरों में खरीदारी की। सेंसेक्स पिछले पांच दिनों से लगातार गिर रहा था और निफ्टी चार दिनों से। इस वजह से कई शेयरों के दाम काफी कम हो गए थे, और अब निवेशक इन शेयरों को खरीदकर फायदा उठाना चाहते हैं।
4. टेक्निकल व्यू
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के चीफ मार्केट स्ट्रैटेजिस्ट आनंद जेम्स के मुताबिक निफ्टी का 25,850 के स्तर तक गिरना खरीदारी के मौके लेकर आया। हालांकि अभी तक तकनीकी संकेत किसी बड़ी और पक्की उलटफेर की ओर इशारा नहीं कर रहे हैं।
5. FII लॉन्ग-शॉर्ट रेशियो
डेरिवेटिव्स बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) अभी भी सावधानी बरत रहे हैं। नए सीरीज में उनका लॉन्ग-शॉर्ट रेशियो 8.84% है, जो नवंबर सीरीज की शुरुआत में देखे गए 15.07% से काफी कम है। दिसंबर महीने में यह रेशियो 20% से नीचे ही रहा, जो यह बताता है कि वे शॉर्ट पोजीशन (यानी कीमतें गिरने पर फायदा उठाने वाली पोजीशन) की ओर ज्यादा झुकाव रखते हैं।
भारतीय बाजार का खराब रेकॉर्ड
साल 2025 में भारतीय शेयर मार्केट का प्रदर्शन काफी खराब रहा। डॉलर के हिसाब से देखें तो सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी50 (Nifty50) ने सिर्फ 4-5% का ही रिटर्न दिया है। इसका मतलब है कि दुनिया के बड़े शेयर बाजारों में भारत सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश बन गया है, जबकि बाकी देशों के बाजारों में जबरदस्त उछाल आया है। अगर रुपये के हिसाब से देखें तो सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 9 से 10% की बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन रुपये में आई भारी गिरावट की वजह से विदेशी निवेशकों को नुकसान हुआ। नतीजा यह हुआ कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने रिकॉर्ड 18 अरब डॉलर का पैसा निकाल लिया। यह किसी भी कैलेंडर साल में अब तक का सबसे बड़ा आउटफ्लो है।
साल 2025 में दुनिया के बाजार का क्या हाल?
- चीन के Shanghai इंडेक्स में करीब 21 की तेजी आई।
- दक्षिण कोरिया का KOSPI करीब 81% उछला
- ब्राजील का Bovespa लगभग 48% बढ़ा
- जर्मनी का DAX 38% चढ़ा और Stoxx Europe 600 में 32% की बढ़ोतरी हुई।
- अमेरिका के S&P 500 ने 17.4% और Nasdaq ने 21.6% का रिटर्न दिया।
पाकिस्तान भी निकल गया आगे
साल 2025 में पड़ोसी देश पाकिस्तान का शेयर मार्केट भी हमसे आगे निकल गया। कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE100) में साल 2025 के आखिरी दिन गिरावट आई, बावजूद इसके इसने इस साल करीब 50 फीसदी रिटर्न दिया। वहीं भारतीय शेयर बाजार का रिटर्न करीब 10 फीसदी रहा। ऐसे में पाकिस्तान के बाजार में हमारे बाजार के मुकाबले करीब 5 गुने का उछाल आया।
क्या साल 2026 में बदलेंगे हालात?
इस मुश्किल साल के बावजूद बाजार के रणनीतिकार मानते हैं कि 2026 में सुधार की उम्मीदें बन रही हैं। एलारा सिक्योरिटीज (Elara Securities) की गरिमा कपूर को उम्मीद है कि सरकारी नीतियों की मदद से घरेलू ग्रोथ में बदलाव आएगा। नोमुरा (Nomura) के साइयन मुखर्जी को उम्मीद है कि निफ्टी 2026 के अंत तक 29,300 तक पहुंच जाएगा, जो 21 गुना फॉरवर्ड अर्निंग्स के आधार पर 12% रिटर्न देगा।













