सूत्रों ने बताया कि दूरसंचार विभाग कटौती सत्यापन दिशानिर्देशों और लेखापरीक्षा रिपोर्ट के आधार पर रोके गए एजीआर बकाया का पुनर्मूल्यांकन भी करेगा। इस बारे में सरकार द्वारा नियुक्त एक समिति निर्णय करेगी। इसके अतिरिक्त वित्त वर्ष 2017-18 और वित्त वर्ष 2018-19 से संबंधित एजीआर बकाया (जिसे उच्चतम न्यायालय के 2020 के आदेश द्वारा पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है) वोडाफोन-आइडिया द्वारा वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 के दौरान बिना किसी बदलाव के देय होगा।
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सरकार की हिस्सेदारी
इन कदमों से दूरसंचार कंपनी में करीब 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली सरकार के हितों की रक्षा होगी। साथ ही स्पेक्ट्रम नीलामी शुल्क और एजीआर बकाया के रूप में केंद्र को देय राशि का व्यवस्थित भुगतान सुनिश्चित होगा। इसके अलावा, वीआईएल इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा में बनी रहेगी और उसके 20 करोड़ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होगी।














