रिलायंस पिछले 30 साल में अपने चौथे बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि 2026 में हर तिमाही रिलायंस के शेयर की कीमत बढ़ेगी और कंपनी की कमाई में भी इजाफा होगा। इसकी वजहें भी साफ हैं। पहली तिमाही में रिफाइनिंग बिजनेस में तेजी आएगी। दूसरी तिमाही में टेलीकॉम में प्रति यूजर कमाई (ARPU) बढ़ेगी और रिटेल बिजनेस में भी अच्छी बिक्री होगी। तीसरी तिमाही में नए एनर्जी प्रोजेक्ट्स रफ्तार पकड़ेंगे और चौथी तिमाही तक केमिकल्स बिजनेस में भी सुधार देखने को मिलेगा।
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ईंधन का ‘सुनहरा दौर’
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, रिलायंस का फ्यूल रिफाइनिंग बिजनेस सबसे कम आंका गया है। यह बिजनेस सबसे ज्यादा मुनाफा दे रहा है, अच्छा फ्री कैश फ्लो बना रहा है और अपने फ्यूल रिटेल नेटवर्क के विस्तार से लगातार बढ़ रहा है। मॉर्गन स्टेनली इस सेक्टर को ‘सुनहरा दौर’ बता रहा है, जिससे रिलायंस की नेट एसेट वैल्यू (NAV) में 7 से 10 अरब डॉलर का इजाफा होने का अनुमान है। फ्यूल रिफाइनिंग मार्जिन अभी करीब 14 डॉलर प्रति बैरल चल रहा है। यह मिड-साइकिल लेवल से करीब डेढ़ गुना ज्यादा है और यह अच्छा दौर 2026 में चौथे साल में प्रवेश करेगा।
रिटेल बिजनेस में सुधार
रिलायंस का कंज्यूमर ब्रांड्स बिजनेस पिछले तीन साल में बहुत तेजी से बढ़ा है। यह अब ITC के FMCG बिजनेस के बराबर पहुंच गया है। इसमें 75% से ज्यादा बिक्री जनरल मर्चेंडाइज की है। जैसे-जैसे यह बिजनेस बढ़ेगा, रिलायंस रिटेल के मार्जिन और ROCE में सुधार होगा। जियोमार्ट के जरिए क्विक कॉमर्स भी इस ग्रोथ को सपोर्ट कर रहा है। सितंबर 2025 की तिमाही में जियोमार्ट की ग्रोथ 42% रही। इसने अपने मौजूदा रिटेल नेटवर्क और बढ़ते डार्क स्टोर्स का इस्तेमाल करके 30 मिनट के अंदर डिलीवरी संभव बनाई है। इस रफ्तार से रिलायंस के रिटेल बिजनेस की ग्रोथ FY25–FY28 के दौरान 17% सालाना दर से बढ़ने की उम्मीद है।
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टेलीकॉम: कैश का खजाना
रिलायंस का टेलीकॉम बिजनेस पहली बार फ्री कैश फ्लो पॉजिटिव होने वाला है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि कंपनी का कैपिटल एक्सपेंडिचर कम हो रहा है। ब्रॉडबैंड और वायरलेस दोनों सेगमेंट में नए ग्राहक जुड़ने की रफ्तार इंडस्ट्री से ज्यादा है। पिछले दो साल से टैरिफ नहीं बढ़ने के बावजूद, प्रति यूजर कमाई अपने आप बढ़ रही है। रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स का ARPU 9% सालाना दर से बढ़ेगा, जिससे EBITDA और कमाई में 18% की बढ़ोतरी होगी। हालांकि, टेलीकॉम ROCE अभी भी करीब 7% है, जो स्पेक्ट्रम और डिजिटल एसेट्स के शुरुआती दौर के मोनेटाइजेशन को दिखाता है। लेकिन, डिजिटल EBITDA पहले ही डेढ़ गुना बढ़ चुका है।
केमिकल्स बिजनेस
चीन में ‘एंटी-इनवॉल्यूशन’ की कोशिशों से पेट्रोकेमिकल साइकिल के निचले स्तर पर पहुंचने के संकेत मिल रहे हैं। चीन में नई क्षमताएं कम जुड़ रही हैं और वहां करीब 5–10% पुरानी केमिकल क्षमताएं बंद हो रही हैं। चीन के अलावा, दुनिया भर में भी प्रतिस्पर्धा कम होने से इंडस्ट्री मार्जिन स्थिर हो रहे हैं। 2025 में करीब 15 मिलियन टन प्रति वर्ष ओलेफिन क्षमता अब इस्तेमाल में नहीं है। ऐसे में, रिलायंस इंडस्ट्रीज के मार्जिन इस केमिकल डाउन-साइकिल में एक तिहाई से ज्यादा गिरे हैं। लेकिन, मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि 2026 के अंत तक मार्जिन में 10–15% की रिकवरी आएगी, जिससे स्ट्रीट के अनुमानों से ज्यादा फायदा हो सकता है।













