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  • ₹9,91,63,13,00,000 लेकर बैठे हैं अडानी, देश के 11 एयरपोर्ट्स पर है नजर, कौन-कौन हैं लिस्ट में?

    नई दिल्ली: अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज अगले 5 साल में हवाई अड्डों के विकास पर 11 अरब डॉलर खर्च करने की तैयारी में है। इसी कड़ी में कंपनी सरकार द्वारा निजी क्षेत्र को लीज पर दिए जाने वाले 11 हवाई अड्डों के लिए आक्रामक बोली लगाने की योजना बना रही है। फिलहाल


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 19, 2025
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    नई दिल्ली: अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज अगले 5 साल में हवाई अड्डों के विकास पर 11 अरब डॉलर खर्च करने की तैयारी में है। इसी कड़ी में कंपनी सरकार द्वारा निजी क्षेत्र को लीज पर दिए जाने वाले 11 हवाई अड्डों के लिए आक्रामक बोली लगाने की योजना बना रही है। फिलहाल अडानी एयरपोर्ट्स देश में सात हवाई अड्डों का प्रबंधन कर रहा है। कंपनी मुंबई के पास एक नया हवाई अड्डा भी बना रही है, जो इसी महीने चालू होने वाला है। यह पहला हवाई अड्डा होगा जिसे कंपनी ने बिल्कुल शुरुआत से बनाया है।

    भारत और एशिया के दूसरे बड़े रईस गौतम अडानी के नेतृत्व वाला यह ग्रुप हाल के वर्षों में तेजी से विस्तार कर रहा है। अडानी एयरपोर्ट्स होल्डिंग्स लिमिटेड (AAHL) पहले से ही भारत में सबसे ज्यादा हवाई अड्डों का संचालन करने वाली कंपनी है। वहीं GMR ग्रुप यात्रियों की संख्या के मामले में सबसे बड़ा ऑपरेटर है। केंद्र सरकार कुछ हवाई अड्डों को लंबी अवधि के लिए निजी कंपनियों को लीज पर दे रही है। साथ ही, नए हवाई अड्डे बनाने के लिए भी प्रोत्साहन दे रही है।

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    कंपनी का आईपीओ

    सरकार का लक्ष्य 2047 तक देश में 350 से 400 हवाई अड्डे बनाने का है, जबकि अभी इनकी संख्या 163 है। इसी साल की शुरुआत में सरकार ने 11 हवाई अड्डों को लीज पर देने की योजना का ऐलान किया था। इनमें अमृतसर और वाराणसी के अलावा कुशीनगर, गया, भुवनेश्वर, हुबली, कांगड़ा, रायपुर, तिरुचिरापल्ली, औरंगाबाद और तिरुपति शामिल हैं।

    AAHL के डायरेक्टर जीत अडानी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि कंपनी इन सभी 11 हवाई अड्डों के लिए बोली लगाएगी। जीत अडानी ने बताया कि AAHL को पब्लिक में लिस्ट करने की कोई तय समय-सीमा नहीं है। उन्होंने कहा कि IPO या डी-मर्जर तभी होगा जब कुछ खास लक्ष्य हासिल कर लिए जाएंगे।

    जीत अडानी ने स्पष्ट किया कि कंपनी एयरलाइन बिजनेस में उतरने की कोई योजना नहीं बना रही है। उन्होंने कहा कि एयरलाइन बिजनेस में मुनाफा बहुत कम होता है। उन्होंने कहा, “एयरलाइन चलाने के लिए एक खास मानसिकता की जरूरत होती है। मुझे नहीं लगता कि हमारे पास वह मानसिकता है। हमारी सहजता और हमारी मुख्य क्षमता जमीन पर हार्ड एसेट्स बनाने, लंबी अवधि वाली संपत्तियों को चलाने और उन्हें काफी कुशलता से संचालित करने में है।”

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